इलाहाबाद : प्रदेश भर के साढ़े चार हजार से अधिक अशासकीय माध्यमिक कालेजों में प्रधानाचार्यो के 90 फीसद खाली पड़े हैं। कार्यवाहक शिक्षकों के जरिये जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है।
नए शैक्षिक सत्र में पाठ्यक्रम भी बदल चुका है, वहां बेहतर पढ़ाई हो इसके लिए जरूरी है कि शिक्षकों की नियुक्तियां करने से पहले संस्था प्रधान के पदों पर तेजी से भर्ती की जाए। तमाम साक्षात्कार हो चुके हैं और कुछ होना शेष हैं। उसमें आ रही बाधा दूर की जाए। 1माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र में डॉ. निरंजन सिंह की अगुवाई में शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल नए अध्यक्ष वीरेश कुमार से मिला। उन्हें बताया कि चयन बोर्ड को सहायता प्राप्त कालेजों में सबसे पहले प्रधानाचार्यो की नियुक्ति करनी होगी, क्योंकि कालेजों में शैक्षिक व प्रशासनिक व्यवस्था ध्वस्त है। वर्ष 2011 में 975 प्रधानाचार्य के पद विज्ञापित हुए। जिनका साक्षात्कार 2014 में हो चुका है, किंतु हाईकोर्ट में दाखिल याचिका के कारण परिणाम जारी करने पर रोक लगी है। यह रोक हटाने के लिए डॉ. दीपक कटियार व अन्य ने याचिका दाखिल की थी। न्यायालय ने 2017 में कहा कि अभी चयन बोर्ड क्रियाशील नहीं है इसलिए परिणाम घोषित करने की अनुमति नहीं दे सकते। इसी तरह से वर्ष 2013 में भी संस्था प्रधानों के पद विज्ञापित हुए, जिनका साक्षात्कार लंबित है। चयन बोर्ड के समक्ष यह दोनों प्रकरण सबसे बड़ी चुनौती है। इस दिशा में गंभीर प्रयास होने चाहिए, वरना पठन-पाठन बेहतर होने की बात बेमानी हो जाएगी। नए अध्यक्ष ने सभी को आश्वस्त किया कि वह जल्द ही इस दिशा में कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा कि वह प्रधानाचार्य और शिक्षक भर्तियां तेजी से कराने को संकल्पबद्ध हैं। यहां पर हरी प्रकाश, गार्गी श्रीवास्तव, दिलीप कुमार, अनंत तिवारी आदि थे।
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