एक तरफ जहां परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई के लिए शिक्षकों की कमी है। वहीं कुछ ऐसे भी स्कूल हैं जहां पर शिक्षकों की संख्या कुछ ज्यादा ही है। इस कड़ी में कुशीनगर जिले के विकास खंड मोतीचक के परिषदीय विद्यालय में इस सूची में आता है।
यहां के शिक्षकों की मनमानी के कारण शिक्षा का अधिकार संबंधी कानून बर्बाद होता नजर आ रहा है। वहीं कुछ विद्यालयों में छात्रों की संख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है। इस विकास खंड के कई ऐसे विद्यालय हैं, जहां शिक्षकों की संख्या छात्रों से कई ज्यादा है। कुछ विद्यालयों के शिक्षक उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर करने के बाद गायब हो जाते हैं।
पिछले दिनों खंड शिक्षाधिकारी मोतीचक द्वारा क्षेत्र के चार विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया गया था, जिसमें एक विद्यालय बंद मिला था तो दो विद्यालयों में कुछ शिक्षक अनुपस्थित मिले थे। जिसके बाद शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। बावजूद इसके अभी व्यवस्था में सुधार नहीं दिख रहा है। शासन की योजनाएं व मंशा तभी सफल होंगी, जब शिक्षकों की कार्यशैली व शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए सरकार द्वारा काफी धन खर्च करने के बाद भी छात्र संख्या में सुधार नहीं दिख रहा है।
इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी एसएन प्रजापति ने कहा है कि शिक्षकों की उपस्थिति चेक करने के लिए समय-समय पर विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया जाता है। गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई की जाती है। छात्र संख्या बढ़ाने के लिए जागरूकता रैलियां निकाली जा रही हैं। जिन विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या अधिक है, वहां से शासनादेश के बाद दूसरे विद्यालयों में भेजा जाएगा।
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