इलाहाबाद : उप्र लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डा. अनिल यादव पर प्रदेश सरकार से यूपीकोका (उप्र कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) लगाने की की गई है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय ने मुख्यमंत्री को इस संबंध में पत्र भेजा है।
जिसमें डा. अनिल यादव के आयोग में अध्यक्ष पद पर नियम विरुद्ध नियुक्ति को संज्ञान लेने, नियुक्ति प्राधिकारी पर कार्रवाई करने, अनिल यादव की ओर से अपने अपराधों को छिपाने तथा अवैध ढंग से मैनपुरी के एक कालेज में प्राचार्य पद हासिल करने पर कार्रवाई की की गई है।1सीएम को भेजे पत्र में अवनीश ने डा. अनिल यादव का कच्चा-चिट्ठा उजागर किया है। कहा है कि उनके आपराधिक इतिहास को नजर अंदाज कर तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने आयोग में बतौर अध्यक्ष नियुक्ति की। इसका उद्देश्य समाजवादी पार्टी के लिए अधिकारियों का कॉडर खड़ा करना था। कहा है कि आयोग से पांच साल के दौरान हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच तो शुरू हो चुकी है लेकिन, डा. अनिल यादव के अपराधों को छिपाते हुए आयोग में बतौर अध्यक्ष उनकी तैनाती करवाने में जिन भी लोगों का हाथ है उन पर भी कार्यवाही आवश्यक है। पत्र में इसका प्रमुखता से जिक्र किया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जानबूझ कर एक अपराधी को लाखों युवाओं का भविष्य बर्बाद करने के लिए उप्र लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया। इसकी पृष्ठभूमि में बताया कि डा. अनिल यादव की उप्र लोक सेवा आयोग इलाहाबाद में बतौर अध्यक्ष नियुक्ति के संबंध में प्रदेश शासन के विशेष कार्याधिकारी सुरेश चंद्र यादव ने 31 मार्च, 2013 को डीएम मैनपुरी को एक पत्र भेजा था। जिसमें कहा गया था कि अनिल यादव का एक ही दिन में चरित्र सत्यापन कर शासन को भेजा जाए। 31 मार्च, 2013 दिन रविवार को ही मैनपुरी के लेखपाल से लेकर जिलाधिकारी तक ने चरित्र सत्यापित कर अनिल यादव के चरित्र को उत्तम बता दिया। जबकि अनिल कुमार यादव पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। एक अप्रैल, 2013 को डीएम मैनपुरी का पत्र शासन में पहुंच गया। उसी दिन शासन के सचिव कार्मिक राजीव कुमार ने शासनादेश भी जारी कर दिया। जबकि स्वयं राजीव कुमार नोएडा भूमि घोटाले में हैं, उन्हें हाईकोर्ट ने छह साल की सजा सुनाई है।
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