इलाहाबाद : शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में सफल होने वाले
अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिलनी लगभग तय है। इसमें केवल वहीं अभ्यर्थी फंस
सकते हैं, जो किसी जिला विशेष में आरक्षण नियमों के घेरे में आ जाएं। यही
नहीं जो अभ्यर्थी नियुक्ति नहीं पा सकेंगे, उन्हें अगली बार फिर से लिखित
परीक्षा देनी होगी, क्योंकि इस लिखित परीक्षा का प्रमाणपत्र सिर्फ इसी
भर्ती के लिए ही मान्य है।
शिक्षामित्र निराश न हो, सरकार साथ : शिक्षामित्र संगठनों का दावा है कि
लिखित परीक्षा में जो अभ्यर्थी सफल हुए हैं उनमें से करीब 38 हजार को ही
नियुक्ति मिल पाएगी। बीटीसी दूरस्थ शिक्षामित्र संघ के अनिल कुमार यादव का
कहना है कि यदि उत्तीर्ण प्रतिशत 33 व 30 रहता तो अधिक संख्या में
शिक्षामित्र उत्तीर्ण होते लेकिन, वह बढ़ने से मौका चला गया। आदर्श
समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन उप्र के अध्यक्ष जितेंद्र शाही ने कहा है
कि इस परिणाम से शिक्षामित्र हतोत्साहित न हो, प्रदेश सरकार उनके संबंध
में गंभीर है, 20 अगस्त को मुख्यमंत्री की ओर से गठित समिति की बैठक है,
इसमें उनकी समस्याओं पर विचार होगा।
तीन जिलों में सर्वाधिक पद : सहायक अध्यापक भर्ती में प्रदेश के हर जिले को
पद दिए गए हैं, इसमें तीन जिलों को पदों का सर्वाधिक आवंटन हुआ है।
सीतापुर, हरदोई व जौनपुर में दो-दो हजार, बदायूं में 1750, लखीमपुर खीरी व
बहराइच में 1700-1700, कुशीनगर व बलिया में 1600-1600, बाराबंकी में 1500,
बिजनौर, गोंडा, बस्ती व उन्नाव में 1400-1400, गोरखपुर में 1350, मथुरा,
देवरिया, बरेली में 1300-1300, मिर्जापुर, फतेहपुर में 1250-1250, महराजगंज
व रामपुर में 1200-1200, सिद्धार्थ नगर, शाहजहांपुर व मैनपुरी में
1150-1150, सोनभद्र व अलीगढ़ में 1100-1100, बांदा में 1050, बुलंदशहर,
हमीरपुर, फरुखाबाद, आजमगढ़ में 1000-1000, इलाहाबाद व प्रतापगढ़ में
900-900, रायबरेली में 800, कौशांबी में 700 पद हैं। गाजियाबाद में सबसे कम
10 पद हैं।
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