शिक्षामित्रों को उनकी मूल तैनाती वाले विद्यालयों में भेजने के लिए बीएसए
दफ्तर ने जहां 1299 शिक्षामित्रों की लिस्ट जारी कर दी है, वहीं सुसराल में
नियुक्ति मांगने वाली महिला शिक्षामित्रों की सूची रोक दी है। इसके अलावा
उन महिला शिक्षामित्रों की लिस्ट भी नहीं जारी हुई हैं, जिन्होंने पति के
शहर में रहने का प्रमाण पत्र दिखाते हुए नजदीक किसी विद्यालय में तैनाती
करने की दरख्वास्त दी थी।
सहायक अध्यापक की नियुक्तियां रद्द होने के बाद शिक्षामित्रों को उनके मूल
तैनाती वाले विद्यालयों में भेजने की तैयारी लंबे वक्त से चल रही है। शासन
से झंडी मिलने के बाद हाल में करीब 3100 शिक्षामित्रों के समायोजन बेसिक
शिक्षा विभाग को करने थे, लेकिन केवल 1430 शिक्षामित्रों ने ही मूल तैनाती
वाली जगहों पर भेजने का प्रार्थना पत्र बीएसए कार्यालय में दिया था। सोमवार
को बीएसए ने इसमें से 1299 शिक्षामित्रों को उनके मूल तैनाती वाले
विद्यालयों में भेजने की लिस्ट जारी कर दी लेकिन शादीशुदा 80 महिला
शिक्षामित्रों की ससुराल में तैनाती की सूची रोक दी। इसके अलावा 41 उन
महिला शिक्षामित्रों के समायोजन पर अब तक कोई विचार नहीं हुआ है, जिन्होंने
पति का निवास शहर में दिखाते हुए पास ही किसी स्कूल में तैनाती मांगी है।
जबकि नियमानुसार गांव में तैनात शिक्षामित्र की तैनाती शहर में नहीं हो
सकती है। यह नियम शहरी शिक्षामित्रों के लिए भी लागू है। बीएसए का कहना है
कि अन्य शिक्षामित्रों के समायोजन पर भी जल्द फैसला होगा।
समायोजन को लेकर खड़ा होगा बखेड़ा
बीएसए ने कई स्कूलों में तीन शिक्षामित्रों की तैनाती कर दी है। जबकि
नियमानुसार 30 बच्चों पर एक टीचर होना चाहिए। जिन जगहों पर ज्यादा
शिक्षामित्र हो गए हैं, वहां सहायक अध्यापक का ट्रांसफर करना विभाग की
मजबूरी हैं। ऐसे में ट्रांसफर न चाहने वाले शिक्षकों बीएसए के इस फैसले का
आसानी से नहीं मानने वाले।
शिक्षामित्र संघ में फैसले को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया
शिक्षामित्रों के समायोजन के बाद जहां प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ ने बीएसए
के घेराव का कार्यक्रम रद्द कर दिया, वहीं समायोजित शिक्षामित्र शिक्षक संघ
के जिलाध्यक्ष डॉ. केपी सिंह का कहना है कि समायोजन से शिक्षामित्र
असंतुष्ट हैं। सूची में भी तमाम खामियां हैं।