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शिक्षामित्र मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खट-खटाएगी सरकार : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

हाईकोर्ट से शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द होने के फैसले के बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में जाने की संभावनाएं तलाशने में जुट गई है। राज्य सरकार इस पर विधिक राय लेने के बाद निर्णय करेगी। बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी कहते हैं कि हाईकोर्ट का फैसला देखा नहीं है
बस केवल मीडिया से ही इसकी जानकारी मिली है। इसलिए फैसला देखने के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है।
बेसिक शिक्षा मंत्री कहते हैं कि शिक्षा मित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन नियमों के दायरे में रखकर किया गया है। हाईकोर्ट का जो भी फैसला आया है उस पर विधिक राय लेने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा डिंपल वर्मा कहती हैं कि हाईकोर्ट का आदेश अभी मिला नहीं है। केवल इसकी जानकारी मिली है। फैसला मिलने के बाद इस पर विधिक राय ली जाएगी। विधिक राय के बाद ही आगे क्या करना है इस पर फैसला किया जाएगा।
शिक्षक बनाने को बदली नियमावलीः
राज्य सरकार ने शिक्षा मित्रों को शिक्षक बनाने के लिए 30 मई 2014 को उत्तर प्रदेश निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली में पहला संशोधन किया। इसमें यह व्यवस्था दी गई कि कोई शिक्षक जनवरी 2010 के पूर्व से कार्यरत है, तो उसे टीईटी पास करने की जरूरत नहीं होगी।
इसके आधार पर ही 19 जून 2014 को शिक्षा मित्रों को बिना टीईटी पास किए ही सीधे सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का निर्णय किया गया।
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समायोजन में यह हुआ खेल
राज्य सरकार शिक्षा मित्रों को पत्राचार के माध्यम से दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण देकर सहायक अध्यापक बनाना चाहती थी। इसके लिए बीच का रास्ता तलाशा जा रहा था। विभाग के कुछ अधिकारियों ने सलाह दिया कि शिक्षा मित्रों को संविदा शिक्षक मान लिया जाए। एनसीटीई ने भी वर्ष 2010 में जारी अधिसूचना में कहा है कि जनवरी 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापकों को टीईटी पास करने की जरूरत नहीं है। राज्य सरकार ने इसी को आधार बनाते हुए उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अधिनियम 1972 के नियम 19 में दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए अलग से नियमावली बना ली जाएगी। बेसिक शिक्षा विभाग ने 30 मई 2014 को उत्तर प्रदेश निशुल्क और बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली में पहला संशोधन किया गया। इसमें शिक्षा मित्रों को वर्ष 2010 के पूर्व का संविदा शिक्षक मानते हुए टीईटी से छूट दे दी गई।
एनसीटीई ने माना संविदा कर्मी
हाईकोर्ट में शिक्षा मित्रों को बिना टीईटी पास किए ही सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किए जाने पर सुनवाई के दौरान एनसीईटी ने अपना पक्ष रखते हुए इन्हें संविदा कर्मी माना है। हाईकोर्ट में एनसीटीई के पक्ष रखने के बाद भी राज्य सरकार ने वर्ष 2014 में पहले चरण में 58,826 शिक्षा मित्रों को समायोजित करने की प्रक्रिया पूरी कर डाली। हालांकि, बेसिक शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी शिक्षा मित्रों को बिना टीईटी पास किए सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन दबाव के चलते पहले 58,826 फिर दूसरे चरण में 77,000 शिक्षा मित्रों को समायोजित कर दिया गया।
टीईटी पास करना है अनिवार्यः
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद एनसीटीई ने कक्षा आठ तक के स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया। इसके साथ ही यह भी अनिवार्य किया गया कि गैर प्रशिक्षित शिक्षकों को या तो प्रशिक्षित किया जाएगा या बाहर। राज्य सरकार ने भी यह व्यवस्था लागू कर दी कि बिना टीईटी पास किए कोई भी कक्षा आठ तक के स्कूलों में शिक्षक नहीं बन पाएगा, लेकिन शिक्षा मित्रों में मामले में यह अनिवार्यता नहीं रखी गई। 


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