नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये मोदी सरकार अब पढ़ने-पढ़ाने
के नए तौर तरीकों को पेश करने की तैयारी कर रही है। प्राथमिक और माध्यमिक
स्तर के स्कूलों के स्तर पर छात्रों के एप्टीट्यूड टेस्ट करवाने की तैयारी
है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े
दस्तावेजों में कहा है कि अगर छात्रों के एप्टीट्यूड टेस्ट करवाए जाए तो
छात्रों की रुचि और दिलचस्पी का पता लगेगा और उन्हें आगे चलकर अपनी पसंद और
क्षमता के मुताबिक का कोर्स लेने में आसानी होगी।
इन टेस्ट में पास करने वाले छात्रों को बाकायदा प्रमाण पत्र देने की भी बात है। इसी तरह बीएड, बीटीसी कोर्स करने वाले आवेदकों को साल में 20 हफ्ते बच्चों को पढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। नई राष्ट्रीय नीति में पढ़ाने के लिए नए तौर तरीकों पर ज्यादा जोर दिया गया है। बीएड और बीटीसी पाठ्यक्रमों के छात्रों को साल में दस हफ्ते अच्छे और नामी स्कूलों में पढ़ाने की बात है जबकि बाकी दस हफ्ते कमजोर स्कूलों में पढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। इसी तरह सरकार नई राष्ट्रीय नीति के जरिए हर अध्यापक को अपने सेवाकाल का कम से कम समय गांवों के स्कूल में बिताने पर भी विचार कर रही है। मंत्रालय ने शिक्षा नीति पर चल रही विचार विमर्श की प्रक्रिया के दौरान राज्य सरकार से भी इन मुद्दों पर बात की है। यही नहीं सरकार अब प्रशासनिक अधिकारियों की तर्ज पर अब स्कूलों के प्रधानाचार्यों का एक अलग से काडर बनाने की दिशा में भी काम कर रही है। स्कूलों में अध्यापकों के कामकाज की निगरानी के लिए हर अध्यापक का आधार नंबर, ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर लेने की भी बात की गई है। इसके लिए एक विस्तृत डाटाबेस बनाने की बात कही गई है। साल के अंत में नई शिक्षा नीति को लेकर चल रही लंबी विचार विमर्श की प्रक्रिया खत्म होने जा रही है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी नए साल में नई शिक्षा नीति देने की बात कर चुकी हैं।
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इन टेस्ट में पास करने वाले छात्रों को बाकायदा प्रमाण पत्र देने की भी बात है। इसी तरह बीएड, बीटीसी कोर्स करने वाले आवेदकों को साल में 20 हफ्ते बच्चों को पढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। नई राष्ट्रीय नीति में पढ़ाने के लिए नए तौर तरीकों पर ज्यादा जोर दिया गया है। बीएड और बीटीसी पाठ्यक्रमों के छात्रों को साल में दस हफ्ते अच्छे और नामी स्कूलों में पढ़ाने की बात है जबकि बाकी दस हफ्ते कमजोर स्कूलों में पढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। इसी तरह सरकार नई राष्ट्रीय नीति के जरिए हर अध्यापक को अपने सेवाकाल का कम से कम समय गांवों के स्कूल में बिताने पर भी विचार कर रही है। मंत्रालय ने शिक्षा नीति पर चल रही विचार विमर्श की प्रक्रिया के दौरान राज्य सरकार से भी इन मुद्दों पर बात की है। यही नहीं सरकार अब प्रशासनिक अधिकारियों की तर्ज पर अब स्कूलों के प्रधानाचार्यों का एक अलग से काडर बनाने की दिशा में भी काम कर रही है। स्कूलों में अध्यापकों के कामकाज की निगरानी के लिए हर अध्यापक का आधार नंबर, ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर लेने की भी बात की गई है। इसके लिए एक विस्तृत डाटाबेस बनाने की बात कही गई है। साल के अंत में नई शिक्षा नीति को लेकर चल रही लंबी विचार विमर्श की प्रक्रिया खत्म होने जा रही है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी नए साल में नई शिक्षा नीति देने की बात कर चुकी हैं।
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