Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

सुप्रीम कोर्ट के इस नये आदेश से घबराई यूपी सरकार, आनन-फानन में स्‍कूलों के लिए लिया ये फैसला, शिक्षक नाराज

सुप्रीम कोर्ट देश के सूखाग्रस्त जिलों में मई-जून माह की स्‍कूली छुट्टी के बाद भी सरकारी विद्यालयों के बच्चों को मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था करने के आदेश के बाद, यूपी सरकार में हलचल है, तो यूपी के स्‍कूलों और शिक्षकों में हड़कंप।
कोर्ट के इस आदेश के बाद यूपी सरकार फ़ौरन हरकत में तो आ चुकी है  और सूखाग्रस्त जिलों के सभी बीएसए को इस बाबत योजना को तत्काल प्रभाव से जारी करने के आदेश जारी कर दिए हैं, लेकिन उसके इस आदेश से शिक्षक नाराज हैं।

सभी सरकारी विद्यालयों में 20 मई से छुट्टी हो चुकी है और शाम तक ये आदेश भी उपरोक्त जिलों में आ गया और 21 तारीख से आदेश जारी भी हो गए हैं, लेकिन तमाम शिक्षक संगठनों द्वारा इसका विरोध भी शुरू हो गया है जिसमें उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा अग्रणी भूमिका निभाई जा रही है। संगठन का स्पष्ट तौर पर कहना है की शिक्षकों का कार्य पढ़ाना है न की खाना खिलाना। शिक्षकों का कहना है कि यह एक गैर शैक्षिणिक कार्य है और हाईकोर्ट ने भी कई बार आदेश जारी करते हुए कहा है की शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य न कराएं जाएं।

उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ चित्रकूट जिले के जिलाध्यक्ष अखिलेश पाण्डेय का कहना है कि ये एक अव्यवहारिक निर्णय है क्योंकि 20 मई तक विद्यालय बंद हो चुके हैं और तमाम बच्चे बाहर चले जाते हैं फिर इन छुट्टी के दिनों के दिनों में वो खाना खाने कैसे आएंगे? मिड-डे मील योजना में जिले के 50% विद्यालयों में कन्वर्जन कॉस्ट नहीं है  खाद्यान्न भी माइनस में है। वही दूसरी ओर बांदा बीएसए ने अपने आदेश में कहा है कि विद्यालयों में बच्चों के साथ-साथ गांव के असहायों,गरीबों को भी खिलाया जा सकता है।

इस बाबत सच्चाई जानने के खातिर ग्राउंड जीरों पर पड़ताल की गई, जिसमें कई शिक्षकों ने बताया की अप्रैल -मई से बच्चों की संख्या वैसे भी बहुत कम हो गई थी, ऐसे में इस भीषण गर्मी में छुट्टी के दिनों में बच्चे बमुश्किल आएंगे। वैसे तहकीकात में एक और चौंकाने वाला सच सामने आया, जिसमें अधिकांश शिक्षकों ने माना की हमें अन्य प्रकार के इतने कार्य सौंप दिए जाते हैं कि बच्चों को पढ़ाने का समय ही नही मिल पाता। अब सरकार हमारी 40 दिनों की छुट्टी भी छीन रही है, जो की अव्यवहारिक है।

परिषदीय स्कूलों के रसाइयों ने भी सरकार के इस निर्णय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बड़ोखर ब्‍लॉक की रसोइयों ने उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए गर्मियों की छुट्टियों में एमडीएम बनवाए जाने पर इन दिनों का मानदेय भी दिलाने की मांग की है।

पहले से मई माह का भोजन बिना मानदेय के बनाती चली आ रही हैं। क्षेत्र के अधिकांश शिक्षाविदों का कहना है , सरकार चाहे तो ग्राम प्रधान/आंगनबाड़ियों आदि का सहयोग लेकर सूखाग्रस्त जिलों में अकेले बच्चों भर को नहीं, सभी भूखे, गरीब ग्रामीणों को भी भोजन की व्यवस्था कर सकती है, पर ये वोटो को लुभाने का महज एक तुगलकी फरमान ही लग रहा है।

वैसे इस पूरे विवाद के बीच एक बार फिर सरकार की नीतियां संदेह के घेरे में हैं, खासकर सूखे से निपटने की सारी नीतियां फेल होती नजर आ रही हैं, ऐसे में सरकारों को कोशिश करनी चाहिए की जमीनी हकीकत को पढ़कर ही योजनाओं का सही दिशा में क्रियान्वयन करें, नही तो आने वाले दिनों मे स्थिति और भी भयावह होगी।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

latest updates

latest updates

Random Posts