UPTET Live News

Patrika Special: जब 'छोटे मास्टरजी' क्लास में नहीं आते तो बच्चे हो जाते हैं मायूस

प्रशांत श्रीवस्तव, लखनऊ. छात्र व शिक्षक के बीच लगाव कोई नई बात नहीं लेकिन राजाजीपुरम के कालंदी खेड़ा इलाके में लगने वाली बाल-चौपाल में यह दृश्य बेहद खास होता है। पिछले चार साल से यहां बाल चौपाल लगाने वाले आनंद कृष्णा जिस दिन नहीं आते यहां की झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चे मायूस हो जाते हैं।
आनंद उनके लिए न केवल शिक्षक हैं बल्कि दोस्त भी हैं। आनंद के लिए यह बच्चे उनके परिवार का ही हिस्सा हैं। 12 साल के आनंद अब तक 148 गांव में घूमकर लगभग 750 छात्रों को पढ़ाई के लिए जागरुक कर चुकें हैं। इसके अलावा रोजाना शाम को वह कालंदी खेड़ा में बाल चौपाल लगाते हैं। इसी कड़ी में आनंद अपनी बाल-चौपाल को अगले सत्र से डिजिटल भी करने जा रहे हैं।

bal chaupal

पढ़ाई के साथ-साथ काउंसलिंग भी

चौपाल में आने वाले बच्चों को आनंद पढ़ाने के साथ-साथ उनकी काउंसिलिंग भी करते हैं। जैसे अगर किसी बच्चे में कोई गंदी आदत है तो वह उसे समझाते हैं, उसके मां-बाप से भी बात करते हैं। बच्चों को निशुल्क पढ़ाने में आनंद को एक अलग ही सुख मिलता है, जिसका अंदाजा हम और आप लगा भी नहीं सकते। हर हफ्ते या दो हफ्तों में वह एक न एक गांव के चक्कर जरूर लगाता है। आनंद अपने मम्मी-पापा के साथ गांव में जाता है, बच्चों को इकठ्ठा कर लेता है और उन्हें यह बताता है, कि पढ़ाई क्यों जरूरी है। उन्हें बताता है कि विज्ञान के जरिये दुनिया कहां से कहां पहुंच गई। गण‍ित में कैसे रुचि बढ़ाई जा सकती है और यह भी बताता है कि पढ़ने से उन बच्चों के जीवन में कैसे बदलाव आ सकते हैं।

anand

ऐसे मिली प्रेरणा

आनंद ने बताया कि जब वो चौथी कक्षा में था तब अपने मम्मी-पापा के साथ अजंता-एलोरा घूमने गया। वहां एक मंदिर में दर्शन करते वक्त आरती हो रही थी। एक गरीब बच्चा, दौड़ कर आया और आरती में शामिल हो गया। वह बेहतरीन स्वरों में आरती गा रहा था। आरती संपन्न होते ही, बच्चा मंदिर के बाहर जाकर बैठ गया और किताब खोलकर पढ़ने लगा। आनंद को यह देख बहुत अच्छा लगा। आनंद के पिता ने उस गरीब बच्चे को पैसे दिये, लेकिन बच्चे ने यह कहकर लेने से इंकार कर दिया, कि अंकल अगर देना ही है, तो मेरे लिये कॉपी-किताबें खरीद दीजिये। बस उसी दिन से आनंद के मन में गरीब बच्चों को पढ़ाने व पढ़ाई में मदद करने की इच्छा जागृत हो गई।

आनंद के पिता अनूप मिश्रा 'अपूर्व' और रीना मिश्रा, दोनों पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। माता-पिता दोनों ने आनंद की इस सोच को हकीकत में बदला और लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर काकोरी के भवानी खेड़ा गांव ले गये। आनंद उस दिन को हर रोज याद करता है। आनंद ने बताया, "जब मैं गांव में गया तो करीब छह-सात बच्चे खेल रहे थे। वे सभी मुझे देखने लगे। मैंने उनसे पूछा, पढ़ाई करते हो, तो कुछ ने जवाब दिया हां और कुछ चुप रहे। न वो मुझे जानते थे, न मैं उन्हें जनता था, लेकिन जब मैंने उन्हें कंप्यूटर के बारे में बताना शुरू किया, तो वे सभी बच्चे बड़े गौर से सुनने लगे। थोड़ी ही देर में मैंने उनसे कहा, जाओ अपने दोस्तों को बुला लाओ। करीब 15 से 20 मिनट के भीतर 30 से ज्यादा बच्चे आ गये और जमावड़ा लग गया। हम सभी ने एक घेरा बनाया और बातें करनी शुरू कर दीं।"

anand

अब होंगी डिजिटल क्लासेज

आनंद के पिता अनूप मिश्रा के मुताबिक, आनंद का पूरा प्रयास है कि अगले सत्र से बाल-चौपाल की क्लास को डिजिटलाइज किया जाए। यानि कि अब से आनंद बच्चों को प्रोजेक्टर की मदद से पढ़ाएंगे। इसके लिए उन्होंने फंड जुटाना भी शुरू कर दिया है। आनंद का मानना है कि इससे छात्रों को जल्दी चीजें समझ आती हैं और उन्हें नए-नए तरीकों से पढ़ाया जा सकता है।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

UP Teachers latest news, UPTET updates, promotion, salary hike, transfer policy, recruitment notifications and Sarkari Naukri updates in Hindi.

All Rights reserved ........ Powered by Blogger.

Archive

शिक्षक भर्ती परीक्षा हेतु पाठ्यक्रम व विषयवार नोट्स

Govt Jobs : Opening

Important Posts

advertisement

Popular Posts

UPTET news

Advertisement

UP teachers Blog....

Blog dedicated to all teachers in Uttar Pradesh

Ads

Popular Posts

Popular Posts

ख़बरें अब तक

► Today's Breaking

UPTET Big Breaking

Big Breaking

Popular Posts