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हो सकता हैं बडा उलट - फेर ....सुप्रीम कोर्ट की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है , बढ़ता जा रहा है दबाव

मैं व्यक्तिगत रूप से अंतिम निर्णय की उम्मीद अनवरत करता आ रहा हूँ । आज ही के दिन दिनांक 13 नवम्बर 2011 को टीईटी की परीक्षा हुयी थी ।जो लीव अब तक ग्रांट हुयी है सब अंतरिम है और अंतिम निर्णय में जो कुछ भी होगा सबके लिए अंतिम और सर्वमान्य होगा ।

जो भी आपत्तिकर्ता अभी चयन से वंचित हैं , यदि सबका चयन न हुआ तो फिर अंतिम निर्णय में बहुत उलटफेर होगा ।
माननीय सुप्रीम कोर्ट यदि हाई कोर्ट की खंडपीठ के फैसले को सही मानती है तो फिर ऐसी स्थिति में नियमावली का संशोधन 15वां अवैध हो जायेगा जिसके परिणाम स्वरूप इसपर हुयी भर्तियों पर प्रश्न चिह्न लग जायेगा ।
इसके बाद निम्न सवाल उठेंगे ,
शिक्षामित्र कहेंगे कि प्रशिक्षु शिक्षक कैडर भी नियमावली में नहीं था और न ही उसके चयन में रिजर्वेशन फॉलो हुआ था इसके बावजूद भी सभी चयनितों को प्रशिक्षणोपरांत नियमावली से मौलिक नियुक्ति दी गयी, अतः शिक्षामित्रों भले ही सर्विस रूल में न हों परंतु उनकी भी मौलिक नियुक्ति हुयी है अतः शिक्षामित्रों का समायोजन भी सही है ।
अकादमिक टीम कहेगी कि प्रशिक्षु शिक्षक का विज्ञापन BSA ने नहीं जारी किया था जिसपर कपिल देव यादव ने विज्ञप्ति निरस्त करने की मांग की और सरकार ने विज्ञापन ही वापस ले लिया जिसपर कपिल देव यादव की याचिका निष्क्रिय हो गयी और एकल बेंच ने खारिज कर दिया परंतु खंडपीठ ने कपिल देव की याचिका खारिज बताकर प्रशिक्षु शिक्षक का विज्ञापन सहायक अध्यापक का विज्ञापन बताकर बहाल कर दिया , अतः वह विज्ञप्ति निरस्त की जाये ।
मैं मात्र एक मांग करूँगा कि खंडपीठ ने सात सवाल बनाकर प्रशिक्षण हेतु चयन एवं प्रशिक्षण पर सर्विस रूल एप्लीकेबल बताया था और नियुक्ति के बाद प्रशिक्षण की बात कही थी लेकिन सरकार ने बगैर रुल फॉलो किये प्रशिक्षु शिक्षक पद पर चयन किया और प्रशिक्षण के बाद पुनः नियुक्ति दी, जिससे कि जिन कारणों ने एकल बेंच ने विज्ञापन को न बहाल करना चाहा था सरकार ने वही सब कुछ फॉलो किया अतः या तो विज्ञप्ति को निरस्त कर दिया या फिर प्रशिक्षण पूर्व चयन सर्विस रूल के अनुपालन के साथ पूर्ण किया जाये ।
इसके बाद न्यायपालिका न्याय करने को बाध्य होगी ।
यदि सुप्रीम कोर्ट ने नियमावली के संशोधन 15 को बहाल कर दिया तो फिर इसपर जो भी बीटीसी SBTC और सीनियर बेसिक स्कूल की भर्ती हुयी है सब सुरक्षित हो जायेगी लेकिन तब निम्न सवाल पैदा होंगे ।
अकादमिक टीम एकल बेंच के आदेश को सही मानकर राज्य द्वारा विज्ञापन को रद्द किए जाने की बात करेगी और संशोधन 16 से नये विज्ञापन को बहाल मानकर चयन प्रक्रिया पूर्ण किये जाने की बात करेगी ।
अकादमिक टीम यह भी बताएगी कि पुराना विज्ञापन रूल पर नहीं था अतः कपिल देव की याचिका पर उसपर स्टे हुआ था लेकिन स्टे याचिका के निपटारे के पूर्व ही राज्य सरकार ने विज्ञापन वापस ले लिया था ।
जो भी 72825 प्रक्रिया में चयन पा चुके हैं वो कोर्ट को बताएँगे कि संशोधन 15 व 16 का प्रभाव पुराने विज्ञापन पर नहीं पड़ेगा क्योंकि पुराना विज्ञापन संशोधन 12 पर आया था और वह प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।
राज्य सरकार कहेगी कि उसने कोर्ट के अंतरिम आदेश पर प्रक्रिया पूरी की है और सबकी नियुक्ति अंतिम निर्णय के आधीन है और कोई भी नौकरी जाने का क्लेम नहीं करेगा ऐसा आदेश पूर्व में निर्गत है ।
मैं कहूंगा कि RTE एक्ट लागू होने के बाद बीएड के चयन पर रूल एप्लीकेबल है अतः जिनका भी हित बाधित हुआ है और रूल फॉलो न होने के कारण जिनका हित बाधित हुआ है उन्हें न्याय मिले अन्यथा संपूर्ण चयन निरस्त करके जो भी चयन का आधार निर्धारित हो उसपर चयन प्रक्रिया पूर्ण की जाये ।
अंतरिम आदेश में चाहे जो भी हुआ है चाहे जिसको आपत्ति हो परंतु अंतिम आदेश में सिर्फ न्याय होगा ।
इस प्रकार सबका चयन अन्यथा निर्णीत चयन के आधार से मात्र 72825 लोगों का चयन ही अंतिम फैसला होगा ।
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