शिक्षामित्रों का सत्याग्रह, शिक्षकों का धरना

जागरण संवाददाता, आगरा: शिक्षक और शिक्षामित्रों के हक लड़ाई में परिषदीय स्कूलों के विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा है। गुरुजनों को अपने वेतन, मानदेय और प्रमोशन की फिक्र है, बच्चों के भविष्य से किसी को सरोकार नहीं है।
आलम यह है कि जिले के शिक्षामित्र लखनऊ में सत्याग्रह कर रहे हैं, जबकि मंगलवार से शिक्षकों का धरना बीएसए कार्यालय पर शुरू हो गया। नतीजा, अधिकांश स्कूलों में पढ़ाई चौपट हो गई है। अफसर असहाय बने हुए हैं।
बता दें कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद से शिक्षामित्र आंदोलन की राह पर है, उनके द्वारा कार्य बहिष्कार करने से 400 से अधिक विद्यालयों में पढ़ाई चौपट हो गई है। शेष कसर शिक्षकों ने पूरी कर दी है, वे अपनी मांगों को लेकर बीएसए कार्यालय पर धरना दे रहे हैं। सर्वशिक्षा से जुड़े अभियान, स्कूल चलो अभियान, शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार और अन्य कार्यक्रम शिक्षामित्रों के सत्याग्रह और शिक्षकों के धरना-प्रदर्शन की भेंट चढ़ रहे हैं।
धरना में शिक्षकों ने रखीं मांगें

: बीएसए कार्यालय पर दो दिवसीय धरना में प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राकेश चाहर ने कहा कि स्कूलों में सहायक अध्यापक, प्रधानाध्यापक के सैकड़ों पद रिक्त हैं, इन्हें पदोन्नति के द्वारा भरा जाना है। सैकड़ों सहायक अध्यापक बिना किसी स्थानापन्न वेतन के प्रभारी प्रधानाध्यापक के पद पर कार्य कर रहे हैं। अत: रिक्त पदों पर शीघ्र ही पदोन्नति की जाए अथवा प्रभारी प्रधानाध्यापक को स्थापन्न वेतन दिया जाए। पद सृजन के लिए 31 जुलाई की संख्या को आधार माना जाए। शासनादेश के विपरीत किए गए समायोजन निरस्त किए जाएं। एक जनवरी 2016 के बाद सेवानिवृत्त शिक्षकों को पेंशन निर्धारण के लिए शासनादेश शीघ्र जारी किया जाए। योजनाओं को लाभ देना है तो बच्चों को अभिभावकों द्वारा नियमित स्कूल भेजने की व्यवस्था की जाए। शिक्षकों के लिए पुरानी पेंशन बहाल की जाए। 16 मांगों को लेकर शिक्षकों ने बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान हरिओम यादव, देवेश पाल सिंह, भूप सिंह मौर्य, रमेश सिंह भदौरिया आदि मौजूद रहे।
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