सर्वोच्च न्यायालय से समायोजन रद्द होने के 25 दिन बाद शिक्षामित्रों ने तीन सूत्री मांगों को लेकर सोमवार को राजधानी में शक्ति प्रदर्शन किया। प्रदेश के सभी जिलों से हजारों की संख्या में लक्ष्मण मेला मैदान पर जमा हुए शिक्षामित्रों ने सकारात्मक कार्यवाही होने तक यहीं डेरा जमाने का एलान किया है।
शिक्षामित्रों के शक्ति प्रदर्शन ने बेसिक शिक्षा विभाग, सरकार और पुलिस और शासन की परेशानी बढ़ा दी।
हालांकि प्रदर्शन के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। मगर शिक्षामित्रों की रैली और सभा के मद्देनजर कुछ इलाकों में ट्रैफिक जाम रहा।
शिक्षामित्रों ने रविवार शाम से ही राजधानी में डेरा जमाना शुरू कर दिया था। सोमवार सवेरे तक प्रदेश के सभी जिलों से हजारों की संख्या में महिला व पुरुष शिक्षामित्र लक्ष्मण मेला मैदान पहुंच गए थे। यहां उन्होंने शक्ति प्रदर्शन किया।
इस दौरान आयोजित सभा में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने कहा कि भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों की समस्या का समाधान का वादा किया था। लेकिन सरकार अब उनके साथ धोखा कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को अध्यादेश लाकर शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
संयुक्त सक्रिय शिक्षक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीनानाथ दीक्षित ने कहा कि शिक्षामित्रों की एकता से सरकार को संदेश मिल गया है। सभा को प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के संरक्षक शिव कुमार शुक्ला, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्याम लाल यादव, प्रदेश मंत्री कौशल सिंह और संयुक्त सक्रिय संघ के राकेश वाजपेयी, शरद चौहान व अन्य नेताओं ने भी संबोधित किया।
एडीएम और सिटी एसपी ने शिक्षामित्र के विभिन्न संगठनों के प्रमुख नेताओं से मुलाकात कर सरकार के आला अधिकारियों से वार्ता का प्रस्ताव रखा। जिसे शिक्षामित्रों ने ठुकराते हुए कहा, वे सिर्फ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ही बात करेंगे।
संभवत: मंगलवार को शिक्षामित्रों के प्रतिनिधिमंडल की मुख्यमंत्री से वार्ता कराई जाएगी। वहीं, शिक्षामित्रों का कहना है कि वार्ता सफल न होने पर बुधवार को जेल भरो आंदोलन किया जाएगा।
शिक्षामित्रों के आंदोलन के चलते शहर के रास्ते पूरी तरह से जाम हो गए। स्कूल से लौट रहे बच्चों को इसके चलते खासी परेशानी झेलनी पड़ी।
आंदोलन में आई शिक्षामित्र अपने परिवार और बच्चों को लेकर भी आई। गर्मी और उमस के चलते उनके साथ आए बच्चे काफी परेशान रहे। उन्हें जहां छाया मिली वहीं सो गए।
आंदोलन में आए शिक्षामित्रों को पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ गया। प्रशासन ने जो इंतजाम किए थे वो नाकाफी निकले।
आंदोलन के चलते चरमराई शहर की ट्रैफिक व्यवस्था देर शाम तक दुरुस्त नहीं हो पाई।

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शिक्षामित्रों के शक्ति प्रदर्शन ने बेसिक शिक्षा विभाग, सरकार और पुलिस और शासन की परेशानी बढ़ा दी।
हालांकि प्रदर्शन के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। मगर शिक्षामित्रों की रैली और सभा के मद्देनजर कुछ इलाकों में ट्रैफिक जाम रहा।
शिक्षामित्रों ने रविवार शाम से ही राजधानी में डेरा जमाना शुरू कर दिया था। सोमवार सवेरे तक प्रदेश के सभी जिलों से हजारों की संख्या में महिला व पुरुष शिक्षामित्र लक्ष्मण मेला मैदान पहुंच गए थे। यहां उन्होंने शक्ति प्रदर्शन किया।
इस दौरान आयोजित सभा में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने कहा कि भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों की समस्या का समाधान का वादा किया था। लेकिन सरकार अब उनके साथ धोखा कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को अध्यादेश लाकर शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
संयुक्त सक्रिय शिक्षक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीनानाथ दीक्षित ने कहा कि शिक्षामित्रों की एकता से सरकार को संदेश मिल गया है। सभा को प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के संरक्षक शिव कुमार शुक्ला, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्याम लाल यादव, प्रदेश मंत्री कौशल सिंह और संयुक्त सक्रिय संघ के राकेश वाजपेयी, शरद चौहान व अन्य नेताओं ने भी संबोधित किया।
एडीएम और सिटी एसपी ने शिक्षामित्र के विभिन्न संगठनों के प्रमुख नेताओं से मुलाकात कर सरकार के आला अधिकारियों से वार्ता का प्रस्ताव रखा। जिसे शिक्षामित्रों ने ठुकराते हुए कहा, वे सिर्फ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ही बात करेंगे।
संभवत: मंगलवार को शिक्षामित्रों के प्रतिनिधिमंडल की मुख्यमंत्री से वार्ता कराई जाएगी। वहीं, शिक्षामित्रों का कहना है कि वार्ता सफल न होने पर बुधवार को जेल भरो आंदोलन किया जाएगा।
शिक्षामित्रों के आंदोलन के चलते शहर के रास्ते पूरी तरह से जाम हो गए। स्कूल से लौट रहे बच्चों को इसके चलते खासी परेशानी झेलनी पड़ी।
आंदोलन में आई शिक्षामित्र अपने परिवार और बच्चों को लेकर भी आई। गर्मी और उमस के चलते उनके साथ आए बच्चे काफी परेशान रहे। उन्हें जहां छाया मिली वहीं सो गए।
आंदोलन में आए शिक्षामित्रों को पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ गया। प्रशासन ने जो इंतजाम किए थे वो नाकाफी निकले।
आंदोलन के चलते चरमराई शहर की ट्रैफिक व्यवस्था देर शाम तक दुरुस्त नहीं हो पाई।

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