समायोजन रद्द होने के विरोध में राजधानी लखनऊ में इकट्ठा हुए प्रदेश भर के शिक्षा मित्रों ने दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन किया।
लखनऊ. समायोजन रद्द होने के विरोध में राजधानी लखनऊ में इकट्ठा हुए प्रदेश भर के शिक्षा मित्रों ने दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि सरकार द्वारा मानदेय प्रति महीने दस हजार रुपए करने का निर्णय उनको मंजूर नहीं है। शिक्षा मित्र अब सीएम योगी के अलावा किसी भी सरकारी अधिकारी से कोई वार्ता करने को तैयार नहीं हैं। बीते सोमवार लखनऊ में एक लाख से ऊपर की संख्या में पहुंचे इन शिक्षा मित्रों की संख्या मंगलवार को थोड़ा कम जरूर हो गई लेकिन इनके हौसले में कोई कमी नहीं नजर आई।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के संरक्षक शिव कुमार शुक्ला ने कहा है कि उन्हें सरकार का दस हजार के मानदेय का निर्णय मंजूर नहीं है। वे लोग अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे। वहीं जब तक सीएम योगी उनसे मिलने नहीं आते ये आंदोलन खत्म नहीं होगा। शिक्षा मित्रों की मांग है कि राज्य सरकार अध्यादेश लाकर इन्हें फिर सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त करे और तब तक समान कार्य करने के लिए समान वेतन के सिद्धांत पर उन्हें शिक्षकों के बराबर वेतन दे। सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद होने के फैसले के बाद शिक्षामित्रों और सरकार के बीच वार्ता विफल हो गयी थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को कुछ दिन तक आंदोलन बंद करने को कहा था। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने इस मसले का कोई हल निकलने की बात भी की थी।
शिक्षा मित्रों के आंदोलन को देखते हुए लखनऊ में जिला प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी थी। इसके अलावा उन्हें रोकने की तमाम कोशिशें भी हुईं जो विफल साबित रहीं। शिक्षामित्रों ने 21 अगस्त से लखनऊ में समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र संघर्ष मोर्चा के बैनर तले अनिश्चितकालीन आंदोलन छेडऩे का ऐलान किया था। आंदोलन को धार देने के लिए शिक्षामित्रों को दो बड़े गुट आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन व उप्र प्राथमिक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन ने साझा संघर्ष मोर्चा बनाया है। शिक्षामित्रों की मांग है कि सरकार संशोधित अध्यादेश लाकर उन्हें फिर से सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करे। तब तक 'समान कार्य के लिए समान वेतन' के सिद्धांत पर उन्हें शिक्षकों के बराबर तनख्वाह दी जाए।

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लखनऊ. समायोजन रद्द होने के विरोध में राजधानी लखनऊ में इकट्ठा हुए प्रदेश भर के शिक्षा मित्रों ने दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि सरकार द्वारा मानदेय प्रति महीने दस हजार रुपए करने का निर्णय उनको मंजूर नहीं है। शिक्षा मित्र अब सीएम योगी के अलावा किसी भी सरकारी अधिकारी से कोई वार्ता करने को तैयार नहीं हैं। बीते सोमवार लखनऊ में एक लाख से ऊपर की संख्या में पहुंचे इन शिक्षा मित्रों की संख्या मंगलवार को थोड़ा कम जरूर हो गई लेकिन इनके हौसले में कोई कमी नहीं नजर आई।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के संरक्षक शिव कुमार शुक्ला ने कहा है कि उन्हें सरकार का दस हजार के मानदेय का निर्णय मंजूर नहीं है। वे लोग अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे। वहीं जब तक सीएम योगी उनसे मिलने नहीं आते ये आंदोलन खत्म नहीं होगा। शिक्षा मित्रों की मांग है कि राज्य सरकार अध्यादेश लाकर इन्हें फिर सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त करे और तब तक समान कार्य करने के लिए समान वेतन के सिद्धांत पर उन्हें शिक्षकों के बराबर वेतन दे। सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद होने के फैसले के बाद शिक्षामित्रों और सरकार के बीच वार्ता विफल हो गयी थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को कुछ दिन तक आंदोलन बंद करने को कहा था। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने इस मसले का कोई हल निकलने की बात भी की थी।
शिक्षा मित्रों के आंदोलन को देखते हुए लखनऊ में जिला प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी थी। इसके अलावा उन्हें रोकने की तमाम कोशिशें भी हुईं जो विफल साबित रहीं। शिक्षामित्रों ने 21 अगस्त से लखनऊ में समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र संघर्ष मोर्चा के बैनर तले अनिश्चितकालीन आंदोलन छेडऩे का ऐलान किया था। आंदोलन को धार देने के लिए शिक्षामित्रों को दो बड़े गुट आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन व उप्र प्राथमिक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन ने साझा संघर्ष मोर्चा बनाया है। शिक्षामित्रों की मांग है कि सरकार संशोधित अध्यादेश लाकर उन्हें फिर से सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करे। तब तक 'समान कार्य के लिए समान वेतन' के सिद्धांत पर उन्हें शिक्षकों के बराबर तनख्वाह दी जाए।

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