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⁠⁠⁠⁠⁠किसी ने नहीं समझा कि हुआ क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले में!!?? शिक्षामित्र जरुर पढ़ें एक बार

⁠⁠⁠⁠⁠किसी ने नही समझा कि हुआ क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले में!!??
मैं कोई वकील नही हूँ और ना ही शिक्षामित्र हूँ , लेकिन मेरे कई मित्र व प्रियजन शिक्षा मित्र हैं और इसी वजह से मैंने सुप्रीम कोर्ट के आर्डर को शुरू से आखिर तक पढ़ा और समझा कि हुआ क्या और क्या हो सकता है...

हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्रों को अशिक्षित या अयोग्य नही बताया है । शिक्षण अनुभव , शिक्षा प्रणाली, एक्ट 144 , अस्थायी कर्मचारी नियम वअन्य कई बातें जो आज की जा रही हैं कि इस तरह नौकरी वापिस मिल सकती है आदि सभी मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों पर टिप्पणी की है व उनमे से किसी भी मुद्दे पर नकारात्मक विचार या फैसला नही दिया है ।

पहले हाई कोर्ट ने और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ दो मुद्दों को स्पष्ट रखते हुए शिक्षा मित्रों की नौकरी समाप्त कर दी ।

मुद्दा 1:-
शिक्षा मित्रों काम भले ही पढाने का कर रहे थे लेकिन जब उनका चयन हुआ तो उनका चयन एक शिक्षक के पद के लिए नही किया गया बल्कि शिक्षा मित्र नामक एक नए पद के लिए चयन हुआ और नियुक्ति भी । अब जिस पद के लिए आप का चयन ही नही हुआ तो उस पद पर नौकरी के लिए आप की मांग अयोग्य हैं व आप की उस पद की पदवी को खत्म किया जाता है ।

मुद्दा 2:-
राज्य सरकार को अधिकार नही है कि वे ncte या सेंट्रेल गवर्नमेंट या ऐसी किसी संस्था जो सेंट्रल गवर्नमेंट के अधीन है, के नियमों को बिना उनकी लिखित अनुमति के तोड़ मरोड़ कर इस्तेमाल करे । बिना tet के व अन्य कई और एक्ट को तोड़ मरोड़ कर राज्य सरकार ने शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बना दिया जो कि गलत है अतः ये नियुक्तियां निरस्त की जाती हैं

राज्य सरकार चाहे तो शिक्षा मित्रों को शिक्षा मित्र के पद पर रख सकती है अन्यथा निकाल सकती है। राज्य सरकार को आदेश है कि अध्यापकों की कमी को पूरा करने के लिए सही तरीके से प्रयास करे । राज्य सरकार शिक्षा मित्रों को उम्र व अनुभव के आधार पर कुछ अतिरिक्त भारांक देकर आने वाली दो भर्तियों में ( उन शिक्षा  मित्रों को जो tet पास कर लेंगे ) शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बना सकती है ।

इसमें दिक्कत ये है कि आने वाली दो नियुक्तियों में tet के तहत सरकार 1.5 लाख अध्यापक चुनेगी जबकि शिक्षा मित्र ही 1.72 लाख हैं और tet मे b.ed /btc वाले भी बैठेंगे तो सभी 1.72 लाख शिक्षा मित्र शिक्षक बनेंगे , ऐसा तो नही होगा ।

इसका समाधान क्या है ??

समाधान 1: शिक्षा मित्र पद को ही जारी रखा जाए लेकिन मानदेय खत्म कर के तनख्वाह को बढ़ाकर सहायक या नियमित अध्यापक के बराबर तनख्वाह कर दी जाए । इस निर्णय को सेंटर व राज्य सरकार मिल कर ही ले सकती हैं । सेंटर में और राज्य में भी bjp है तो ये काम मुश्किल कतई नही होगा

समाधान 2: राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश जारी कर शिक्षा मित्रों की नौकरी बहाल करना जिस अध्यादेश को सेंट्रल गवर्नमेंट आसानी से पार्लियामेंट में पास करवा सकती है क्योंकि bjp भारी बहुमत से सेंटर में है

समाधान 3: वकील सुप्रीम कोर्ट के दोनों मुद्दों का सही दलील , अर्थपूर्ण उदहारण , व नियमित या संशोधित एक्ट ढूंढे और सुप्रीम कोर्ट में पेटिशन डाले व लड़े । यदि पेटिशन सिर्फ सहानुभूति या कमज़ोर दलीलों , उदहारण या एक्ट पर डाली गई तो सुप्रीम कोर्ट पेटिशन खारिज कर देगा ।

समझना ये है कि यथार्थ सत्य ये है कि किसी भी परीक्षा या निरीक्षण प्रक्रिया से ऊपर अनुभव है । समझना ये भी है कि अगर सरकार की tet व नई भर्ती की बात को मान लिया गया तो शायद  70 हज़ार शिक्षा मित्र ही अध्यापक बन पाएंगे व बाकी के एक लाख में से कई लोग आत्म हत्या आदि कर लेंगे ।

फैसला वो ले जिसका जीवन व्यथा में है , दर्शक तो दुनिया सारी है , खेल शुरू तो करो ।

रास्ता अब आप चुनिए क्योंकि आप के जितने भी संगठन इन तीन समाधानों से अलग बात कर रहे हैं वे सिर्फ भ्रमित कर रहे हैं

।। जय हिंद ।। जय भारत ।।
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