Important Posts

Advertisement

10 वर्षों से कार्यरत कर्मी को नियमित होने का हक, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

दस वर्ष से लगातार या कोर्ट आदेश के तहत काम कर रहे अस्थायी कर्मचारियों को नियमित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश देते हुए ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट अथॉरिटी के 27 इंजीनियरों की सेवाएं समाप्त करने के हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया।
हालांकि, कोर्ट ने उन्हें वरिष्ठता देने से इनकार कर दिया। जस्टिस टीएस ठाकुर और आर. भानुमति की पीठ ने यह आदेश शुक्रवार को फैसले में दिया।

कोर्ट ने इस आदेश में संविधान पीठ के उमादेवी फैसले (2006) को भी स्पष्ट किया। यह फैसला एडहाक कर्मचारियों को स्थायी करने के बारे में नियमों का निर्धारण किया गया था। फैसले में कहा गया था कि किसी भी अस्थायी कर्मी को स्वीकृत पद पर नियमित नहीं किया जाएगा और इसके लिए औपचारिक खुला विज्ञापन निकाला जाएगा। पीठ ने कहा कि इस फैसले में कुछ अपवाद छोड़े गए हैं। जैसे, आकस्मिक स्थिति में काम चलाने के लिए कर्मचारियों की एडहाक भर्ती की जा सकती है। वहीं, ऐसे लोग जो दस वर्ष या उससे ज्यादा समय से बिना किसी अवरोध के लगातर काम कर रहे हैं और इस अवधि में किसी कोर्ट या पंचाट का आदेश नहीं है, तो ऐसे लोगों को नियमानुसार स्थायी किया जा सकता है।

उमादेवी फैसले के पैराग्राफ 53 में स्पष्ट है कि दस वर्ष अटूट सेवा करने वाले योग्य कर्मचारियों को स्थायी किया जा सकता है। गौरतलब है कि अथॉरिटी ने 1994 में 27 सहायक प्रबंधक (सिविल) को अस्थायी सेवा में रखा था। शुरू में यह सेवा 89 दिनों के लिए थी, लेकिन इसे लगातार बढ़ाया जाता रहा। 2002 में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की और नियमित करने की मांग की। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अथॉरिटी को आदेश दिया कि इंजीनियरों को नियमित किया जाए। इसके बाद अथॉरिटी ने नियमितिकरण की योजना बनाई, जिसे सरकार ने भी मंजूरी दे दी और इंजीनियरों को 2002 में नियमित कर दिया गया।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

UPTET news