Advertisement

17 साल तक अपने खून पसीने से विद्यालयों को शिक्षामित्रों ने सींचा - प्रतिज्ञा चौहान बदायूं

शिक्षामित्रों का कहना है कि जब उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा का हाल बहुत बुरा था विद्यालयों में जानवर बंधने लगे थे तब शिक्षामित्रों ने 1850 से 3500 के अल्प मानदेय पर पूरी लगन से बच्चों को शिक्षा दी उसी का
नतीजा है कि आज प्राइमरी विद्यालयों की स्थिति में सुधार आया,  आज यदि सिर्फ इस बात को कहकर हमें आयोग ठहरा दिया जाता है कि हम शिक्षामित्र स्नातक और BTC होने के साथ-साथ 17 साल का अनुभव रखते हैं केवल शिक्षक पात्रता परीक्षा पास नहीं है जोकि शिक्षा मित्रों पर लागू नहीं होती यदि शिक्षा मित्रों को शिक्षक पात्रता परीक्षा लागू होती है तो क्या 17 साल का अनुभव देखते हुए शिक्षामित्रों को सेवारत रहते हुए शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने की अनुमति नहीं दी जा सकती, फिर शिक्षामित्रों के साथ ऐसा अन्याय क्यों ?प्रतिज्ञा चौहान बदायूं
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

UPTET news