23 अगस्त 2010 से शिक्षा का अधिकार अधिनियम भारत सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में लागू हुआ। उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 27 जुलाई 2011 को लागू किया है। इस कारण ये सभी शिक्षक इस दायरे में नहीं आते।
हम परिषदीय शिक्षक है और हमारी परिषद् राज्य सरकार के अधीन व वित्त पोषित है। ना ही इन शिक्षकों की भर्ती समाजवादी सरकार द्वारा वोट बैंक के कारण की गई है। इसलिए इस पर पूर्व मे हाईकोर्ट में लगायी गयी अर्जी भी खारिज की जा चुकी है। इन सभी शिक्षकों की भर्ती नियुक्ति नियमावली ताक पर रखकर नहीं हुई। इस नियुक्ति प्रक्रिया में पूर्ण संवैधानिक व वांछित अहर्ता प्राप्त अभ्यर्थियों को विज्ञप्ति निकालकर पारदर्शी रुप से शासनादेश के अनुसार नियुक्ति हुई है। इस भर्ती के लिए ना कोई धरना-प्रदर्शन किया गया ना ही तत्कालीन सरकार ने जबरदस्ती पद सृजन के विपरीत जाकर भर्ती की। शिक्षकों की रिक्त पदों के सापेक्ष आवश्यकतानुसार भर्ती हुई। इस भर्ती के नियुक्ति पत्र पर कोर्ट के अधीन रहने का मार्क भी नहीं है। साफ-सुथरी भर्ती हुई है। ध्यान रहें प्रथम UPTET का एग्जाम 13 नवंबर 2011 हुआ था और अधिकतर नियुक्ति 01 जुलाई 2011 की है। जब तक तो उत्तर प्रदेश सरकार UPTET करा भी नहीं पायी थी। इसलिए ये नियुक्तियां नियमावली व शासनादेश अनुसार है।
कोर्ट के भी रूल्स रेगुलेशन होते है। वर्ष 2004 में बीटीसी ट्रेनिंग के लिए विज्ञप्ति निकली। वर्ष 2009 से सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार ट्रेनिंग शुरू हुई। ट्रेनिंग पूर्ण होने के बाद तत्कालीन नियमानुसार नियुक्ति हुई। परिविक्षाकाल पूरा हो गया। अब नियुक्ति हुए सातवां वर्ष चल रहा है। साफ़ सुथरी नियुक्ति है। ऐसे में कोर्ट का टाईम बार निकल चुका है। एक बात ओर जब वर्ष 2011 में जब उत्तर प्रदेश में बेसिक में शिक्षकों की भारी कमी थी तब इलाहाबाद हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने एक अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश भी दिया था कि यदि टेट पास अभ्यर्थी नहीं है तो राज्य सरकार बेसिक की शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रुप से चलाने के लिए बिना टेट पास ट्रेंड व योग्य अभ्यर्थियों की भर्ती कर सकती है। क्योंकि प्रथम टेट परीक्षा उप्र में 13 नवंबर 2011 को आयोजित कराई गयी थी। और उसका रिजल्ट भी सालों तक फाइनल नहीं हो पाया था। इन भर्तियों में समायोजन नहीं हुआ है। तत्कालीन नियमानुसार भर्तियां हुई है विज्ञप्ति को किसी के द्वारा चैलेंज भी नहीं किया। नियुक्तियों पर कोर्ट के अधीन होने का मार्क भी नहीं है। न्याय पालिका सभी के लिए खुली है।



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हम परिषदीय शिक्षक है और हमारी परिषद् राज्य सरकार के अधीन व वित्त पोषित है। ना ही इन शिक्षकों की भर्ती समाजवादी सरकार द्वारा वोट बैंक के कारण की गई है। इसलिए इस पर पूर्व मे हाईकोर्ट में लगायी गयी अर्जी भी खारिज की जा चुकी है। इन सभी शिक्षकों की भर्ती नियुक्ति नियमावली ताक पर रखकर नहीं हुई। इस नियुक्ति प्रक्रिया में पूर्ण संवैधानिक व वांछित अहर्ता प्राप्त अभ्यर्थियों को विज्ञप्ति निकालकर पारदर्शी रुप से शासनादेश के अनुसार नियुक्ति हुई है। इस भर्ती के लिए ना कोई धरना-प्रदर्शन किया गया ना ही तत्कालीन सरकार ने जबरदस्ती पद सृजन के विपरीत जाकर भर्ती की। शिक्षकों की रिक्त पदों के सापेक्ष आवश्यकतानुसार भर्ती हुई। इस भर्ती के नियुक्ति पत्र पर कोर्ट के अधीन रहने का मार्क भी नहीं है। साफ-सुथरी भर्ती हुई है। ध्यान रहें प्रथम UPTET का एग्जाम 13 नवंबर 2011 हुआ था और अधिकतर नियुक्ति 01 जुलाई 2011 की है। जब तक तो उत्तर प्रदेश सरकार UPTET करा भी नहीं पायी थी। इसलिए ये नियुक्तियां नियमावली व शासनादेश अनुसार है।
कोर्ट के भी रूल्स रेगुलेशन होते है। वर्ष 2004 में बीटीसी ट्रेनिंग के लिए विज्ञप्ति निकली। वर्ष 2009 से सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार ट्रेनिंग शुरू हुई। ट्रेनिंग पूर्ण होने के बाद तत्कालीन नियमानुसार नियुक्ति हुई। परिविक्षाकाल पूरा हो गया। अब नियुक्ति हुए सातवां वर्ष चल रहा है। साफ़ सुथरी नियुक्ति है। ऐसे में कोर्ट का टाईम बार निकल चुका है। एक बात ओर जब वर्ष 2011 में जब उत्तर प्रदेश में बेसिक में शिक्षकों की भारी कमी थी तब इलाहाबाद हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने एक अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश भी दिया था कि यदि टेट पास अभ्यर्थी नहीं है तो राज्य सरकार बेसिक की शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रुप से चलाने के लिए बिना टेट पास ट्रेंड व योग्य अभ्यर्थियों की भर्ती कर सकती है। क्योंकि प्रथम टेट परीक्षा उप्र में 13 नवंबर 2011 को आयोजित कराई गयी थी। और उसका रिजल्ट भी सालों तक फाइनल नहीं हो पाया था। इन भर्तियों में समायोजन नहीं हुआ है। तत्कालीन नियमानुसार भर्तियां हुई है विज्ञप्ति को किसी के द्वारा चैलेंज भी नहीं किया। नियुक्तियों पर कोर्ट के अधीन होने का मार्क भी नहीं है। न्याय पालिका सभी के लिए खुली है।



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