जागरण संवाददाता, मीरजापुर : शिक्षकों के समान वेतन और समायोजन की मांग
को लेकर शिक्षामित्रों का प्रदर्शन गुरुवार को भी जारी रहा। इस दौरान
शिक्षामित्रों ने अर्द्धनग्न होकर विरोध किया।
संयुक्त समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र संघर्ष मोर्चा की जिला इकाई की ओर से आयोजित इस प्रदर्शन में शिक्षामित्रों ने आर-पार की लड़ाई लड़ने की बात कही। एडीएम को पत्रक सौंपा गया।
इस दौरान अजय धर दुबे ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों का उत्पीड़न कर रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मांगों के माने जाने तक आंदोलन जारी रहेगा। शिक्षा मित्रों को अपनी मांगों को लेकर एकजुट रहना होगा। हमारे पास जनशक्ति है कोई भी सरकार उनके हित की अनदेखी नहीं कर सकती है। जरूरत पड़ी तो हम अधिकारियों का घेराव करेंगे। लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन चलता रहेगा।
अन्य वक्ताओं ने कहा कि शिक्षामित्रों के प्रांतीय प्रतिनिधि मंडल की शासन से वार्ता के समय एक तरफ समान कार्य के लिए समान वेतन देने की व टेस्ट में छूट देने के लिए विधिक राय लेने की बात होती है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार आनन-फानन में कैबिनेट की बैठक बुलाकर 10 हजार रुपये मानदेय देने व मूल विद्यालय पर वापसी के प्रस्ताव को पारित करते हैं।
इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रदेश की वर्तमान सरकार शिक्षामित्र विरोधी है। इसकी नियत और नीति शिक्षा मित्र के प्रति सही नहीं है। वक्ताओं ने संकल्प लिया कि शिक्षामित्रों का यह आंदोलन अनवरत चलता रहेगा और जब तक सरकार अपनी तुगलकी नीति बंद नहीं करती और शिक्षामित्रों के भविष्य के प्रति उचित निर्णय नहीं लेती, यह विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। अध्यक्षता अजयधर दुबे व संचालन आदिशंकर दुबे ने किया।
इस मौके पर सुनील ¨सह पटेल, विनोद सरोज, रामदेव यादव, बीडी त्रिपाठी, दिनेश ¨सह, माला ¨सह, माधुरी ¨सह, रजनी, संजिता आदि थे।
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संयुक्त समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र संघर्ष मोर्चा की जिला इकाई की ओर से आयोजित इस प्रदर्शन में शिक्षामित्रों ने आर-पार की लड़ाई लड़ने की बात कही। एडीएम को पत्रक सौंपा गया।
इस दौरान अजय धर दुबे ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों का उत्पीड़न कर रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मांगों के माने जाने तक आंदोलन जारी रहेगा। शिक्षा मित्रों को अपनी मांगों को लेकर एकजुट रहना होगा। हमारे पास जनशक्ति है कोई भी सरकार उनके हित की अनदेखी नहीं कर सकती है। जरूरत पड़ी तो हम अधिकारियों का घेराव करेंगे। लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन चलता रहेगा।
अन्य वक्ताओं ने कहा कि शिक्षामित्रों के प्रांतीय प्रतिनिधि मंडल की शासन से वार्ता के समय एक तरफ समान कार्य के लिए समान वेतन देने की व टेस्ट में छूट देने के लिए विधिक राय लेने की बात होती है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार आनन-फानन में कैबिनेट की बैठक बुलाकर 10 हजार रुपये मानदेय देने व मूल विद्यालय पर वापसी के प्रस्ताव को पारित करते हैं।
इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रदेश की वर्तमान सरकार शिक्षामित्र विरोधी है। इसकी नियत और नीति शिक्षा मित्र के प्रति सही नहीं है। वक्ताओं ने संकल्प लिया कि शिक्षामित्रों का यह आंदोलन अनवरत चलता रहेगा और जब तक सरकार अपनी तुगलकी नीति बंद नहीं करती और शिक्षामित्रों के भविष्य के प्रति उचित निर्णय नहीं लेती, यह विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। अध्यक्षता अजयधर दुबे व संचालन आदिशंकर दुबे ने किया।
इस मौके पर सुनील ¨सह पटेल, विनोद सरोज, रामदेव यादव, बीडी त्रिपाठी, दिनेश ¨सह, माला ¨सह, माधुरी ¨सह, रजनी, संजिता आदि थे।
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