नई दिल्ली : अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के लिए विधानसभा में लाए जाने वाले बिल को भाजपा ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश बताया है। उसका कहना है कि संवैधानिक प्रक्रिया पूरी किए बगैर
विधानसभा में बिल लाने का कोई लाभ नहीं है।
इसलिए भाजपा विधायक दिल्ली सरकार को इस मुद्दे पर कठघरे में खड़ा करने की तैयारी में हैं। विभागों से संबंधित समितियों को लेकर उपराज्यपाल के संदेश को विधानसभा में रखने की मांग के साथ ही विपक्ष ने दिव्यांग अधिकार बिल का मुद्दा भी उठाने का एलान किया है।1दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि अतिथि शिक्षकों और सर्व शिक्षा अभियान के तहत काम करने वाले शिक्षकों को नियमित करने के लिए सरकार ने बुधवार को विधानसभा का सत्र बुलाया है। सरकार की यह कोशिश मात्र लोकप्रियता हासिल करने का एक तरीका है क्योंकि इससे संबंधित बिल को शिक्षा, वित्त, न्याय व विधि विभागों से अनुमोदित नहीं कराया गया है। उपराज्यपाल से भी इसकी मंजूरी नहीं ली गई है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार शिक्षकों को नियमित करने को लेकर गंभीर होती तो पूरी संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए विधानसभा में बिल लाती।
उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार को बताया है कि विभिन्न विभागों को लेकर गठित स्थाई समितियां असंवैधानिक है। उपराज्यपाल के इस संदेश को विधानसभा में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव लाने का भी एलान किया है। गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिव्यांग अधिकार बिल 2016 लागू नहीं किया गया है। वहीं, आज तक राज्य खाद्य आयोग स्थापित नहीं हुआ है। इन दोनों मुद्दों पर चर्चा के लिए काम रोको प्रस्ताव लाया जाएगा।
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विधानसभा में बिल लाने का कोई लाभ नहीं है।
इसलिए भाजपा विधायक दिल्ली सरकार को इस मुद्दे पर कठघरे में खड़ा करने की तैयारी में हैं। विभागों से संबंधित समितियों को लेकर उपराज्यपाल के संदेश को विधानसभा में रखने की मांग के साथ ही विपक्ष ने दिव्यांग अधिकार बिल का मुद्दा भी उठाने का एलान किया है।1दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि अतिथि शिक्षकों और सर्व शिक्षा अभियान के तहत काम करने वाले शिक्षकों को नियमित करने के लिए सरकार ने बुधवार को विधानसभा का सत्र बुलाया है। सरकार की यह कोशिश मात्र लोकप्रियता हासिल करने का एक तरीका है क्योंकि इससे संबंधित बिल को शिक्षा, वित्त, न्याय व विधि विभागों से अनुमोदित नहीं कराया गया है। उपराज्यपाल से भी इसकी मंजूरी नहीं ली गई है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार शिक्षकों को नियमित करने को लेकर गंभीर होती तो पूरी संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए विधानसभा में बिल लाती।
उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार को बताया है कि विभिन्न विभागों को लेकर गठित स्थाई समितियां असंवैधानिक है। उपराज्यपाल के इस संदेश को विधानसभा में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव लाने का भी एलान किया है। गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिव्यांग अधिकार बिल 2016 लागू नहीं किया गया है। वहीं, आज तक राज्य खाद्य आयोग स्थापित नहीं हुआ है। इन दोनों मुद्दों पर चर्चा के लिए काम रोको प्रस्ताव लाया जाएगा।
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