फर्जीवाड़ों के लिए चर्चित आगरा विवि में नया घोटाला सामने आया है। विवि
का अनुमोदित शिक्षक एक-दो नहीं, पूरे 10 कॉलेजों का प्राचार्य बना बैठा
है। अनुमोदन फर्जीवाड़े की जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इतना
ही नहीं, यह कलाकार शिक्षक पूरे 28 कॉलेजों में प्रवक्ता पद पर भी कार्यरत
है।
विवि में शिक्षक अनुमोदन के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। बीते दिनों 'हिन्दुस्तान' ने इसका खुलासा किया था। विवि से अनुमोदित 31 शिक्षक 550 कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं। एक-एक शिक्षक कई कॉलेजों में दिखाया गया है। एक शिक्षक तो 47 कॉलेजों के लिए अनुमोदित कर दिया है। अब इसकी सूची भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है। इसके बाद विवि ने जांच बिठाई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। पता चला है कि इन्हीं में से कुछ शिक्षक कई कॉलेजों में प्राचार्य बने बैठे हैं। इसमें सिर्फ सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों के शिक्षक ही शामिल नहीं हैं। आगरा के एक अनुदानित कॉलेज में स्थाई शिक्षक का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है। सूत्रों की मानें तो यह शिक्षक 28 निजी कॉलेजों के लिए अनुमोदित है। यहां उसे एमएड विभाग में प्रवक्ता दिखाया गया है। जबकि यह एक-दो नहीं, पूरे 10 कॉलेजों में प्राचार्य भी है। आश्चर्यजनक यह कि विवि ने भी आंख मूंदकर ऐसे शिक्षकों के अनुमोदन कर दिए हैं। एक अन्य शिक्षक आधा दर्जन निजी कॉलेजों में प्राचार्य है। यह फर्जीवाड़ा कई सालों से चला आ रहा है। जाहिर है विवि में ऊपर से लेकर नीचे तक सभी की मिली भगत है।
खर्चा बचाने को फर्जीवाड़ा
दरअसल अधिकतर सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में पढ़ाई नहीं होती है। यहां सिर्फ कोर्स में पास कराने के लिए ठेके लिए जाते हैं। बीएड और एमएड के साथ भी यही है। लिहाजा कॉलेज संचालक शिक्षक नियुक्ति नहीं करते। विवि को भेजी जाने वाली पत्रावलियों में पात्र शिक्षक के कागजात लगा दिए जाते हैं। इसके बदले संचालक प्रति माह कुछ हजार रुपए शिक्षकों को देते हैं। जबकि स्थाई शिक्षक रखने में कम से कम 35 से 40 हजार रुपए तनख्वाह देनी पड़ती है। सभी निजी कॉलेज संचालक यही कर रहे हैं। छात्रों को भी इससे कोई आपत्ति नहीं है।
आगरा विवि के -पीआरओ डा. गिरजाशंकर शर्मा ने बताया कि जांच चल रही है। एक-एक कॉलेज और शिक्षक की पत्रावलियों का अध्ययन किया जा रहा है। इस मामले में विवि बड़ी कार्यवाही करेगा। दोषियों के खिलाफ निश्चित रूप से एफआईआर भी कराई जाएगी।
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
विवि में शिक्षक अनुमोदन के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। बीते दिनों 'हिन्दुस्तान' ने इसका खुलासा किया था। विवि से अनुमोदित 31 शिक्षक 550 कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं। एक-एक शिक्षक कई कॉलेजों में दिखाया गया है। एक शिक्षक तो 47 कॉलेजों के लिए अनुमोदित कर दिया है। अब इसकी सूची भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है। इसके बाद विवि ने जांच बिठाई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। पता चला है कि इन्हीं में से कुछ शिक्षक कई कॉलेजों में प्राचार्य बने बैठे हैं। इसमें सिर्फ सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों के शिक्षक ही शामिल नहीं हैं। आगरा के एक अनुदानित कॉलेज में स्थाई शिक्षक का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है। सूत्रों की मानें तो यह शिक्षक 28 निजी कॉलेजों के लिए अनुमोदित है। यहां उसे एमएड विभाग में प्रवक्ता दिखाया गया है। जबकि यह एक-दो नहीं, पूरे 10 कॉलेजों में प्राचार्य भी है। आश्चर्यजनक यह कि विवि ने भी आंख मूंदकर ऐसे शिक्षकों के अनुमोदन कर दिए हैं। एक अन्य शिक्षक आधा दर्जन निजी कॉलेजों में प्राचार्य है। यह फर्जीवाड़ा कई सालों से चला आ रहा है। जाहिर है विवि में ऊपर से लेकर नीचे तक सभी की मिली भगत है।
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दरअसल अधिकतर सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में पढ़ाई नहीं होती है। यहां सिर्फ कोर्स में पास कराने के लिए ठेके लिए जाते हैं। बीएड और एमएड के साथ भी यही है। लिहाजा कॉलेज संचालक शिक्षक नियुक्ति नहीं करते। विवि को भेजी जाने वाली पत्रावलियों में पात्र शिक्षक के कागजात लगा दिए जाते हैं। इसके बदले संचालक प्रति माह कुछ हजार रुपए शिक्षकों को देते हैं। जबकि स्थाई शिक्षक रखने में कम से कम 35 से 40 हजार रुपए तनख्वाह देनी पड़ती है। सभी निजी कॉलेज संचालक यही कर रहे हैं। छात्रों को भी इससे कोई आपत्ति नहीं है।
आगरा विवि के -पीआरओ डा. गिरजाशंकर शर्मा ने बताया कि जांच चल रही है। एक-एक कॉलेज और शिक्षक की पत्रावलियों का अध्ययन किया जा रहा है। इस मामले में विवि बड़ी कार्यवाही करेगा। दोषियों के खिलाफ निश्चित रूप से एफआईआर भी कराई जाएगी।
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