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शिक्षा मित्रों की उम्मीदों को सरकार के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी लगा झटका

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के कुछ शिक्षा मित्रों की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिका में उनका समायोजन करने, सेवानिवृत्त का लाभ और पेंशन दिए जाने की अपील की गई थी।
जस्टिस कुरियन जोसफ और जस्टिस अमिताभ रॉय की पीठ ने सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को उचित फोरम पर अपनी मांग उठानी चाहिए। याचिका में अपील की गई थी कि केंद्र सरकार समेत अन्य को यह निर्देश दिया जाए कि अगर उनका समायोजन हो जाता है तो उन्हें सेवानिवृत्ति का लाभ और पेंशन दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को बेहतर शिक्षा के लिए शिक्षित शिक्षकों की जरूरत बताते हुए उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर किए समायोजन को निरस्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था। शिक्षा मित्रों के लिए राहत की बात यह थी कि उसने कहा था कि अगर ये शिक्षा मित्र टीईटी (सहायक शिक्षक के लिए जरूरी अहर्ता) पास हैं या भविष्य में पास कर लेते हैं तो सहायक शिक्षकों के लिए होने वाली दो नियुक्ति प्रक्रिया में उन पर विचार किया जाना चाहिए।
अपने आदेश में अदालत ने यह भी कहा था कि यह राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि वह चाहे तो समायोजन के पूर्व की स्थिति में शिक्षा मित्रों की सेवा जारी रख सकती है। इस फैसले से राज्य के 1.78 लाख शिक्षा मित्रों का सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजन निरस्त हो गया था। इसके खिलाफ शिक्षा मित्रों ने पुनर्विचार याचिका दायर रखी है, जो फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
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