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हम हैं फर्जी, दे दो हमारा नोटिस..जिसका वेतन आए वो असली, न आए तो फर्जी

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : लाइए हमारा नोटिस कहां है? हमारा नाम भी उस सूची में शामिल है। एसआइटी की जांच के बाद में जारी हुई सूची में शामिल कई शिक्षक बुधवार को बीएसए दफ्तर में नजर आए।
यह खुद ही अपना नोटिस लेने के लिए आए थे। दिन में कई बार ऐसे शिक्षकों के चेहरे यहां पर नजर आए। दफ्तर से नोटिस लेकर यह अपनी राह पर चलते बने। शिक्षकों के बिन बुलाए दफ्तर में पहुंचने को लेकर कई तरह की चर्चाएं भी चल रही हैं।
बीएसए दफ्तर कुछ भी कहे। फर्जी शिक्षकों से अपना पल्ला झाड़े, लेकिन इस पूरे खेल में विभाग का कोई न कोई व्यक्ति तो शामिल है। जो शासन से आई सूची से भी पूरा इत्तेफाक रखता है। यही वजह है दफ्तर के कई लिपिकों को एसआइटी की सूची में मिलने वाले फर्जी प्रमाण पत्र धारी शिक्षकों के नाम नहीं मालूम हैं, लेकिन शिक्षकों को बखूबी अपने नाम ही नहीं पता हैं, बल्कि यह भी पता है इन्हें नोटिस जारी किए जा रहे हैं। ऐसे में शिक्षक खुद ही दफ्तर की दौड़ लगाते हुए मुख्यालय पर पहुंच गए तथा नोटिस लिया। करीब ढाई से तीन दर्जन शिक्षक ऐसे बताए जा रहे हैं जिन्होंने दफ्तर से अपने नोटिस प्राप्त किए हैं। शिक्षकों का यूं दफ्तर पहुंचना सूची के काम से जुड़े हुए कर्मचारी, लिपिकों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े कर रहा है।
नहीं चाहते हैं ब्लॉक में नाम चर्चा में आए :
अब तक होता आया है कि शिक्षकों को जारी होने वाले नोटिसों को ब्लॉक संसाधन केंद्र से उनके पास पहुंचाया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। वहीं शिक्षकों के दफ्तर पहुंचने के पीछे भी यही माना जा रहा है कि शिक्षक नहीं चाहते हैं कि उनका नाम फर्जी शिक्षक के रूप में ब्लॉक में चर्चित हो। विभाग भी इसमें पूरी मदद कर रहा है। दफ्तर का ही कोई व्यक्ति फोन से शिक्षकों को सूचना देते हुए बुला रहा है।
जिसका वेतन आए वो असली, न आए तो फर्जी :
वाट्स एप पर भी फर्जी शिक्षकों को लेकर चुटकियां ली जा रही हैं। फेसबुक एवं वाट्स एप पर शिक्षक एक दूसरे से पूछ रहे हैं कि सूची जारी हुई या नहीं? इस पर कई शिक्षक जवाब देते हैं एक-दो दिन में वेतन आने वाला है। अगर वेतन आया तो समझो असली हैं नहीं आए तो फर्जी..।
जवाब के लिए दी है दस दिन की मोहलत : बीएसए

जिला बेसिक शिक्षाधिकारी डॉ.सच्चिदानंद यादव का कहना है कि शिक्षकों को नोटिस डाक से भेजे जा रहे हैं। अगर कोई शिक्षक आया होगा तो उसे पता होगा कि वह फर्जी है, क्योंकि फर्जीवाड़ा करने वाले खुद अपने बारे में जानते हैं। शिक्षकों को स्पष्टीकरण देने के लिए दस दिन का वक्त दिया है। इनके स्पष्टीकरण को शासन को भेजा जाएगा।
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