UPTET Live News

शिक्षकों की तलाश: रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया इतनी धीमी क्यों

शिक्षकों की तलाश: मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों के रिक्त पद भरने की तैयारी पर तभी संतोष व्यक्त किया जा सकता है जब उसे इस काम में यथाशीघ्र अपेक्षित सफलता हासिल हो जाए।
समझना कठिन है कि आखिर समय रहते शिक्षकों के रिक्त पद भरने के लिए कमर क्यों नहीं कसी गई? एक सवाल यह भी है कि रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया इतनी धीमी और समय जाया करने वाली क्यों है? इसी तरह क्या कारण है कि उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों के खाली पड़े पद भी मुश्किल से भरे जा पा रहे हैं? शिक्षकों के रिक्त पद भरने के मामले में यह नहीं कहा जा सकता कि देश में योग्य शिक्षक नहीं रह गए हैं। कहा यही जा सकता है कि उनकी तलाश सही तरह नहीं हो रही है। यदि उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों के 35 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं तो इसका मतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्रलय अपना काम सही तरह नहीं कर रहा है? यह सही है कि तमाम शिक्षा संस्थान एक अर्से से शिक्षकों की कमी का सामना कर रहे थे, लेकिन किसी भी सरकार के लिए साढ़े तीन साल का समय कम नहीं होता। कम से कम अब तो मानव संसाधन विकास मंत्रलय ऐसी कोई दलील नहीं दे सकता कि उसे पर्याप्त समय नहीं मिला।
चिंताजनक केवल यह नहीं है कि अकेले केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के करीब छह हजार से अधिक पद रिक्त हैं, बल्कि यह भी है कि आइआइटी, आइआइएम जैसे नामी संस्थान भी शिक्षकों की कमी का सामना कर रहे हैं। आखिर इसका क्या मतलब कि जो शिक्षा संस्थान देश-दुनिया में अपनी साख रखते हैं वे भी शिक्षकों के अभाव से जूङों? विडंबना यह है कि अभी इस बारे में साफ-साफ कुछ कहना भी कठिन है कि कितने शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों के कुल कितने पद रिक्त हैं, क्योंकि अभी तक रिक्त पदों को पूरा विवरण सामने नहीं आ सका है। इसका अर्थ है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग या फिर मानव संसाधन विकास मंत्रलय शिक्षकों की संभावित सेवानिवृत्ति के बारे में कोई खबर नहीं रखता। एक ऐसे समय जब केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है तब उनमें जरूरत भर शिक्षक न होना छात्रों से किया जाने वाला खिलवाड़ ही है। हैरानी यह है कि यह खिलवाड़ मानव संसाधन विकास मंत्रलय की नाक के नीचे यानी दिल्ली में भी हो रहा है। क्या यह विचित्र नहीं कि दिल्ली विश्वविद्यालय में भी शिक्षकों के करीब 62 फीसदी पद खाली हैं? दिल्ली से दूर, शेष देश में हालात कितने खराब हैं, इसकी एक बानगी इससे मिलती है कि ओडिशा स्थित एक केंद्रीय विश्वविद्यालय में महज 17 शिक्षक ही हैं। जब केंद्रीय विश्वविद्यालयों की ऐसी दयनीय दशा हो तो फिर इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि राज्यों के अधिकार क्षेत्र वाले विश्वविद्यालयों की क्या स्थिति होगी? जो मानव संसाधन विकास मंत्रलय केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने में मुस्तैद न हो वह राज्यों से कैसे यह कह सकता है कि वे इस मामले में कोई ढिलाई न बरतें?

sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

UP Teachers latest news, UPTET updates, promotion, salary hike, transfer policy, recruitment notifications and Sarkari Naukri updates in Hindi.

All Rights reserved ........ يتم التشغيل بواسطة Blogger.

Archive

शिक्षक भर्ती परीक्षा हेतु पाठ्यक्रम व विषयवार नोट्स

Govt Jobs : Opening

Important Posts

advertisement

Popular Posts

UPTET news

Advertisement

UP teachers Blog....

Blog dedicated to all teachers in Uttar Pradesh

Ads

Popular Posts

Popular Posts

ख़बरें अब तक

► Today's Breaking

UPTET Big Breaking

Big Breaking

Popular Posts