Important Posts

Advertisement

स्कूल नहीं पहुंचते शिक्षक, 89 का वेतन रुका

रामपुर : बेसिक शिक्षा बच्चे की नींव का आधार होती है। उसकी पहली पाठशाला होती है, जहां वह अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने की शुरूआत करता है। इसमें सबसे बड़े मार्गदर्शक होते हैं शिक्षक।
अफसोस की बात है कि जिले में प्राइमरी शिक्षा का स्तर यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों की ढिलाई से ऊपर नहीं उठ पा रहा है, जबकि सरकार इन शिक्षकों के वेतन पर हर माह करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। तीन माह में अधिकारियों द्वारा किए गए औचक निरीक्षण में 106 शिक्षक विद्यालयों से गैर हाजिर पाए गए। इनमें 89 का वेतन रोक दिया गया।

शिक्षक ही बच्चे का भविष्य बनाता है। उसे अच्छे बुरे की पहचान कराता है, लेकिन आज शिक्षक का रूप बदल गया है। बच्चों के भविष्य को लेकर शिक्षक लापरवाह हो गए हैं। कहीं स्कूल में ताला लटका रहता है तो कहीं बिना मास्टर जी के बच्चे सिर्फ मिड-डे मील खाकर ही चले जाते हैं। शिक्षकों को सरकार द्वारा तमाम छुट्टियां दी जाती हैं, इसके बावजूद शिक्षक स्कूलों से गैर हाजिर रहते हैं। ऐसे में लोग सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को भेजने से कतराने लगे हैं। यही वजह है कि प्राथमिक विद्यालयों में लगातार बच्चों की संख्या घट रही है। शिक्षकों की उदासीनता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन माह सितंबर, अक्तूबर और नवंबर में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निरीक्षण में 106 शिक्षक विद्यालयों से गायब पाए गए। हालांकि विभाग के अधिकारियों द्वारा शिक्षकों पर कार्रवाई भी की गई, जिसमें एक शिक्षक का निलंबन कर दिया गया, जबकि 89 शिक्षकों का वेतन रोक दिया गया। 15 शिक्षकों को नोटिस तो एक शिक्षक को चेतावनी भी दी गई। बेसिक शिक्षा अधिकारी सर्वदानंद कहते हैं कि सबसे बड़ी समस्या शिक्षकों की गैर हाजिरी है। विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है। आगे से जो शिक्षक अनुपस्थित मिलेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा के साथ खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

UPTET news