सुलतानपुर हिन्दुस्तान संवाद प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद समायोजित शिक्षामित्रों के लिए बीता साल 2017 बहुत ही अमंगलकारी व कष्टदायी रहा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रद्द हुआ समायोजन बचाने के
लिए सत्ता से लेकर प्रशासनिक स्तर पर किए गए संघर्ष व आन्दोलन के बाद शिक्षामित्र संगठनों की कोई दांव नहीं चली। महीने भर जिले से लेकर दिल्ली तक आन्दोलन करने के बाद भी केन्द्र व प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों को राहत पहुंचाने से हाथ खड़ा कर दिया। हां इतना जरूर रहा कि लगातार धरना व प्रदर्शन करने के दबाव में आकर शासन ने शिक्षामित्रों को मानदेय दोगुना से ज्यादा बढ़ाकर उनके जख्म पर मरहम लगाने का काम किया। पूरा वर्ष कोर्ट से लेकर शासन के बीच लटका रहा शिक्षामित्रों का भविष्य: 1000 शिक्षामित्रों के प्रथम बैच को प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन करते हुए नियुक्ति पत्र पूर्ववर्ती सपा सरकार में 31 जुलाई 2014 में जारी की गई। दूसरे बैच 1342 शिक्षामित्रों को नियुक्ति पत्र 28 अप्रैल 2015 को दिया गया। शासन की ओर से सभी को सहायक अध्यापक का वेतन भी जारी कर दिया गया। नियुक्ति पत्र पाने से लेकर डायट में होने वाली काउंसलिंग में भी शिक्षामित्रों ने रात-दिन रुककर संघर्ष किया। यह बात अलग रही कि तत्कालीन बीएसए की ओर से शिक्षामित्रों को इस तरह से फेंटा कि उन्हें दूर न जाना पड़े इसके लिए बीएसए से तगड़ी सेटिंग करनी पड़ी। 12सितम्बर को 2015 को हाईकोर्ट ने समायोजन को रद्द किया तो 26 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल गया। 25 जुलाई 2017 को शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन किया रद्द:सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को शिक्षामित्रों के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर हुए समायोजन का रदद् कर दिया, तो प्रदेश भर में शिक्षामित्रों ने बवाल काटते हुए धरना-प्रदर्शन किया। प्रदेशव्यापी आन्दोलन के बाद प्रदेश सरकार ने अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह से वार्ता करने की पेशकश की। एक सप्ताह के आन्दोलन के बाद 31 जुलाई को आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र प्रताप शाही और प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने अपर मुख्य सचिव से वार्ता की,मगर वार्ता असफल रहीं। एक अगस्त को सीएम से प्रतिनिधि मण्डल की वार्ता हुई। सीएम योगी आदित्यनाथ के भरोसा देने पर 15 दिन के लिए धरना-प्रदर्शन स्थगित कर दिया गया। इसके बाद 17 अगस्त से 19 अगस्त 2017 तक जिले में धरना शुरू हुआ। फिर 21 से 23 अगस्त तक लखनऊ में लगातार धरना चला। सीएम ने शासनादेश जारी करने का भरोसा दिया तो संगठन ने धरना स्थगित कर दिया।

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लिए सत्ता से लेकर प्रशासनिक स्तर पर किए गए संघर्ष व आन्दोलन के बाद शिक्षामित्र संगठनों की कोई दांव नहीं चली। महीने भर जिले से लेकर दिल्ली तक आन्दोलन करने के बाद भी केन्द्र व प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों को राहत पहुंचाने से हाथ खड़ा कर दिया। हां इतना जरूर रहा कि लगातार धरना व प्रदर्शन करने के दबाव में आकर शासन ने शिक्षामित्रों को मानदेय दोगुना से ज्यादा बढ़ाकर उनके जख्म पर मरहम लगाने का काम किया। पूरा वर्ष कोर्ट से लेकर शासन के बीच लटका रहा शिक्षामित्रों का भविष्य: 1000 शिक्षामित्रों के प्रथम बैच को प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन करते हुए नियुक्ति पत्र पूर्ववर्ती सपा सरकार में 31 जुलाई 2014 में जारी की गई। दूसरे बैच 1342 शिक्षामित्रों को नियुक्ति पत्र 28 अप्रैल 2015 को दिया गया। शासन की ओर से सभी को सहायक अध्यापक का वेतन भी जारी कर दिया गया। नियुक्ति पत्र पाने से लेकर डायट में होने वाली काउंसलिंग में भी शिक्षामित्रों ने रात-दिन रुककर संघर्ष किया। यह बात अलग रही कि तत्कालीन बीएसए की ओर से शिक्षामित्रों को इस तरह से फेंटा कि उन्हें दूर न जाना पड़े इसके लिए बीएसए से तगड़ी सेटिंग करनी पड़ी। 12सितम्बर को 2015 को हाईकोर्ट ने समायोजन को रद्द किया तो 26 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल गया। 25 जुलाई 2017 को शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन किया रद्द:सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को शिक्षामित्रों के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर हुए समायोजन का रदद् कर दिया, तो प्रदेश भर में शिक्षामित्रों ने बवाल काटते हुए धरना-प्रदर्शन किया। प्रदेशव्यापी आन्दोलन के बाद प्रदेश सरकार ने अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह से वार्ता करने की पेशकश की। एक सप्ताह के आन्दोलन के बाद 31 जुलाई को आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र प्रताप शाही और प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने अपर मुख्य सचिव से वार्ता की,मगर वार्ता असफल रहीं। एक अगस्त को सीएम से प्रतिनिधि मण्डल की वार्ता हुई। सीएम योगी आदित्यनाथ के भरोसा देने पर 15 दिन के लिए धरना-प्रदर्शन स्थगित कर दिया गया। इसके बाद 17 अगस्त से 19 अगस्त 2017 तक जिले में धरना शुरू हुआ। फिर 21 से 23 अगस्त तक लखनऊ में लगातार धरना चला। सीएम ने शासनादेश जारी करने का भरोसा दिया तो संगठन ने धरना स्थगित कर दिया।

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