इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा एवं जिला बेसिक शिक्षा
अधिकारी पीलीभीत से पूछा है कि अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 में हुए संशोधन
के तहत 31 मार्च 2015 को कार्यरत प्राइमरी स्कूल के सहायक अध्यापकों को चार
वर्ष में प्रशिक्षण प्राप्त करने की छूट का लाभ शिक्षा मित्र से सहायक
अध्यापक बनने वालों को भी मिलेगा या नहीं।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने शिक्षामित्र खड़क सिंह की याचिका पर
दिया है। कोर्ट ने बीएसए पीलीभीत से याची को 20 सितम्बर 2017 के शासनादेश
के तहत 10 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय पर नियुक्ति पर आदेश देने को कहा
है।
याचिका के अनुसार शिक्षामित्रों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के
बाद केंद्र सरकार ने संशोधन कानून पास किया जिसमें अनिवार्य शिक्षा कानून
2009 की धारा 23 (2) में संशोधन कर 31 मार्च 2015 को कार्यरत गैर
प्रशिक्षित अध्यापकों को चार वर्ष में प्रशिक्षण प्राप्त करने की छूट दी गई
है।
याची का कहना है कि वह दो अगस्त 2014 को शिक्षामित्र से प्राइमरी स्कूल
हैदराबाद ब्लाक अमरिया पीलीभीत में सहायक अध्यापक नियुक्त हुआ। 26 जून 2015
को नियुक्ति रद्द हो गई। इस तरह 31 मार्च 2015 को याची सहायक अध्यापक पद
पर कार्यरत था। इसलिए उसे चार साल यानी 25 अगस्त 2021 तक काम करने का
अधिकार है और जब तक याचिका पर निर्णय नहीं हो जाता तब तक याची को प्राइमरी
स्कूल कला मंदिर पीलीभीत में 10 हजार मानदेय पर शिक्षामित्र के रूप में
कार्य करने दिया जाए।
याची का कहना है कि अन्य जिलों में शिक्षामित्रों की नियुक्ति की गई है
लेकिन याची के साथ ऐसा नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा है कि याची 20 सितम्बर 2017
के शासनादेश का लाभ पाने का हकदार है। इसके तहत 10 हजार मानदेय पर
शिक्षामित्रों की नियुक्ति का आदेश दिया गया है। संशोधन कानून 10 अगस्त
2017 को लागू कर दिया गया है। जिसके तहत 31 मार्च 2015 को कार्यरत सहायक
अध्यापकों को योग्यता हासिल करने के लिए चार साल का समय दिया गया है।
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