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आयोग की सीबीआइ जांच की वैधता पर सुनवाई जारी, अनुच्छेद 317 में जांच के अधिकार पर दोनों पक्षों ने दिए तर्क

इलाहाबाद : उप्र लोक सेवा आयोग से पांच साल में हुई भर्तियों में अनियमितता की जांच कर रही सीबीआइ की अधिकारिता के मुद्दे पर दूसरे दिन भी सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। सुनवाई बुधवार को भी होगी।

आयोग की
तरफ से सीबीआइ जांच के खिलाफ दाखिल याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ कर रही है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता शशिनंदन का कहना है कि आयोग पर राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है और वह अध्यक्ष से लेकर चपरासी तक किसी भी कर्मचारी अधिकारी की जांच नहीं कर सकती। केवल राज्यपाल की संस्तुति पर राष्ट्रपति के आदेश से अनुच्छेद 317 के तहत सुप्रीमकोर्ट ही जांच कर सकती है। इसका जवाब देते हुए राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना है कि अनुच्छेद 318 के अंतर्गत राज्य सरकार को रेग्यूलेशन बनाने का अधिकार है। वह सेवा शर्ते तय कर सकती है। जिसमें जांच भी शामिल है। इसके अलावा आयोग के स्टॉफ के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के विरुद्ध राज्य सरकार को अपील सुनने का अधिकार है। इसलिए सीबीआइ जांच के लिए सरकार को संस्तुति करने का अधिकार है। कोर्ट ने जानना चाहा कि क्या आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की भी जांच कराई जा सकती है। क्योंकि अनुच्छेद 317 में ऐसी जांच का अधिकार केवल सुप्रीम कोर्ट को ही है। पूछा कि संवैधानिक उपबंध के विपरीत रेग्यूलेशन कैसे लागू होगा? मामले में बहस जारी है।

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