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चपरासी का वेतन अध्यापक से अधिक क्यों? शिक्षकों का वेतन 40 फीसदी बढ़ाएं: कोर्ट

चपरासी का वेतन अध्यापक से अधिक क्यों
शिक्षकों का वेतन 40 फीसदी बढ़ाएं: कोर्ट

निर्देश
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा था जब चपरासी को 36 हजार रुपये वेतन दे रहे हैं, तो फिर छात्रों का भविष्य बनाने वाले शिक्षकों को मात्र 26 हजार रुपये ही क्यों हैं।
नई दिल्ली ’ विशेष संवाददाता

नियोजित शिक्षकों के समान काम-समान वेतन मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा कि वह शिक्षकों का वेतन 40 फीसदी बढ़ाने पर विचार करे। अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि बिहार के शिक्षकों का वेतन बढ़ता है तो अन्य राज्य से भी ऐसी मांग उठेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस पर विचार करने के लिए चार हफ्ते का समय चाहिए। बिहार सरकार की ओर से अधिवक्ता गोपाल सिंह और मनीष कुमार ने बहस की। उन्होंने कहा कि सरकार नियोजित शिक्षकों के वेतन में 20 फीसदी की बढ़ोतरी देना चाहती है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी ने भी यही सिफारिश की है। इसका शिक्षकों के वकीलों ने विरोध किया, जिसके बाद कोर्ट मामले में चार माह के लिए स्थगित कर दिया। बिहार में करीब साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षक अध्यापन कर रहे हैं। सर्वशिक्षा अभियान के तहत शिक्षकों के वेतन का 70 फीसदी पैसा केंद्र सरकार और 30 फीसदी पैसा राज्य सरकार देती है।
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