लखनऊ. शिक्षामित्रों को लेकर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार
से जवाब तलब किया है। लेकिन इस बार मामला शिक्षामित्रों के मानदेय से
जुड़ा हुआ है। हाईकोर्ट ने सरकार से शिक्षामित्रों को समान कार्य और समान
वेतन के आधार पर मानदेय देने को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है।
सरकार से मांगा जवाब
शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापकों के वेतन के बराबर मानदेय देने की मांग
को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। विनय कुमार
पांडेय और अन्य शिक्षामित्रों की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति एमसी
त्रिपाठी सुनवाई कर रहे हैं। याची के वकील एके त्रिपाठी और अनिल बिसेन का
कोर्ट में कहना था कि शिक्षामित्र भी सहायक अध्यापकों की तरह काम
कर रहे हैं। वह स्कूलों में बच्चों को पढ़ाते हैं और विद्यालय के अन्य
सारे काम भी करते हैं। इसलिए समान कार्य और समान वेतन के सिद्धांत पर उनको
सहायक अध्यापकों के वेतन के बराबर मानदेय दिया जाए। याचीगण का कहना है कि
वह सहायक अध्यापक होने की सभी अर्हताएं रखते हैं, इसलिए उनको समान वेतन
पाने का अधिकार है।
नहीं बढ़ेगा मानदेय
वहीं योगी सरकार में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल ने
विधानसभा में शिक्षामित्रों से जुड़े एक सवाल पर साफ कर दिया कि मानदेय में
और वृद्धि करने का अभी फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। अनुपमा जायसवाल ने
कहा कि स्कूलों में शिक्षामित्र मानदेय के आधार पर काम कर रहे हैं, इसलिए
उनको सहायक अध्यापकों की तरह सुविधाएं नहीं दी जा सकती। शिक्षामित्रों को
10 हजार रुपये का मानदेय हर महीने मिलता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार द्वारा अधिनियम बनाकर शिक्षामित्रों
को सहायक अध्यापक बनाए जाने का भी कोई विचार नहीं है।
मानदेय न मिलने की होगी जांच
अनुपमा जायसवाल ने कहा कि यूपी के स्कूलों में बेसिक शिक्षा विभाग से 17
हजार और सर्व शिक्षा अभियान से 1.52 लाख शिक्षामित्र काम कर रहे हैं।
अनुपमा जायसवाल ने बताया कि सरकार ने शिक्षामित्रों के मानदेय के लिए 22
करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। जिसमें से 9 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए
हैं। इसके साथ ही अनुपमा जायसवाल ने विधानसभा में शिक्षामित्रों को मानदेय न
मिलने की जांच कराने का आश्वासन दिया।
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