इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों को
शिक्षकों के समान वेतन दिये जाने की मांग में दाखिल याचिका पर प्रदेश सरकार
से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिका विनय कुमार पाण्डेय और अन्य
की
तरफ से दाखिल की गयी है. याचिका पर न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी सुनवाई कर
रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि शिक्षामित्र सहायक अध्यापकों की तरह ही
काम कर रहे हैं. वह स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं. समान कार्य
करने के नाते वे भी टीचरों की भांति समान कार्य समान वेतन के सिद्धान्त पर
उनके समान पूरा वेतन व मानदेय पाने के हकदार हैं.
कोर्ट ने इस पर जवाब मांगते हुए याची को भी कहा है कि वह भी तीन सप्ताह में
सरकार के जवाब का प्रत्युत्तर दाखिल करेगा ताकि इस मामले की सुनवाई की जा
सके. बता दें सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 1.78 लाख शिक्षामित्रों की
सहायक अध्यापक के रूप में नियमितीकरण को सिरे से गैरकानूनी ठहराया था.
कोर्ट के अनुसार शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती की औपचारिक परीक्षा में
बैठना होगा और उन्हें लगातार दो प्रयासों में यह परीक्षा पास करनी होगी.
शिक्षक भर्ती परीक्षा में शिक्षामित्रों को अध्यापन अनुभव का वेटेज तथा
उम्र सीमा में रियायत दी जा सकती है.
पीठ ने कहा लेकिन हमारे सामने जहां 1.78 लाख लोगों के दावे हैं, जिन्हें
कानून का उल्लंघन करते हुए नियमित किया गया है. वहीं हमें कानून के शासन को
भी ऊपर रखने के साथ ही छह से 14 साल के बच्चों को शिक्षित शिक्षकों से
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के अधिकार को देखना है. यदि हम अस्थाई रूप से
अयोग्य शिक्षकों से अध्यापन को जारी भी रखते हैं तो भी योग्य शिक्षक
नियुक्त करने ही होंगे.
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