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भर्ती घोटाले में केस दर्ज: यूपीपीएससी के अफसरों पर कसा सीबीआइ का शिकंजा

नई दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) की 20 में हुई परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए यूपीपीएससी के अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। ये परीक्षाएं अधीनस्थ सेवाओं में भर्ती के लिए आयोजित हुई थीं।
लिहाजा इन अनियमितताओं को खंगालने के लिए सीबीआइ ने यूपीपीएससी के से 2017 तक के कार्यकाल की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। 1उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सीबीआइ से इस मामले की जांच करने और मामला दर्ज करने का आग्रह किया था। इसके तहत सीबीआइ ने प्रथम दृष्टया सुबूतों के आधार पर यूपीपीएससी के कुछ अफसरों और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। साथ ही साल से 2017 के दौरान हुई धांधलियों की प्राथमिक जांच प्रारंभ कर दी है। सीबीआइ की एफआइआर में आरोप है कि यूपीपीएससी के कुछ अधिकारियों ने पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में हुई परीक्षा में धांधली के साथ-साथ पक्षपात किया और कुछ जातियों के उम्मीदवारों को गैरजरूरी वरीयता प्रदान की। इंटरव्यू में भेदभाव हुआ, उत्तर पुस्तिका बदली गईं, प्रश्न लीक होने के बावजूद परीक्षा रद नहीं की गई। इसके अलावा, भर्ती में आरक्षण के नियमों का भी उल्लंघन हुआ। किसी खास क्षेत्र और जाति के लोगों को अधिक नंबर दिए गए। इसी अवधि के दौरान अधीनस्थ सेवाओं में नौकरी के लिए हुई परीक्षाओं में ये धांधलियां सामने आई हैं।1 सीबीआइ के मुताबिक सीधे तौर पर परीक्षा के दौरान आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। आने वाले दिनों में इससे जुड़े कुछ और लोगों पर मामला दर्ज हो सकता है। जानकारों की मानें तो उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षाओं की जांच कर रही सीबीआइ के निशाने पर आयोग के अफसर हैं। इनमें एक पूर्व सचिव भी शामिल हैं। सीबीआइ ने इनके मोबाइल नंबरों के भी रिकॉर्ड खंगाले हैं और इनमें से कुछ अफसरों की गतिविधियां काफी ज्यादा संदिग्ध हैं। पूछताछ के दौरान भी इनमें से कुछ अफसरों ने परीक्षाओं में गड़बड़ी की बात स्वीकारी है। हालांकि सीबीआइ का आरोप है कि यूपीपीएससी के अफसरों ने जानकारी देने में सहयोग नहीं किया और कोई विभागीय जांच भी नहीं बैठाई।

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