कोलकाता : स्कूलों में पास-फेल की प्रथा पुन: लागू करने के लिए संसद के
अगले सत्र में बिल पेश होगा। अगले शिक्षा वर्ष से यह प्रथा फिर से लागू
होगी। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को
यहां संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही।
उन्होंने बताया कि बिल पास होने पर
भी इसे राज्यों पर थोंपा नहीं जाएगा बल्कि राज्य इसके लिए स्वतंत्र होंगे।
नए प्रावधान के तहत कक्षा 5वीं से 8वीं की परीक्षा में असफल होने पर
विद्यार्थियों को उन्हीं कक्षाओं में रोक दिया जाएगा। आरटीई के मौजूदा
प्रावधानों के तहत आठवीं तक किसी भी छात्र को रोका नहीं जा सकता है। मंत्री
ने बताया कि पास-फेल प्रथा की वापसी के साथ ही पाठ्यक्रमों में परिवर्तन
भी किया जाएगा। एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को आधा करने का प्रस्ताव है।
मंत्री ने बताया कि पाठ्यक्रम परिवर्तन के लिए 37 हजार परामर्श आए हैं।
पाठ्यक्रम को 2019 में कुछ कम किया जाएगा। उसके बाद कुछ वर्ष 2020 में
पाठ्यक्रम में कमी की जाएगी। कक्षा व विषय के अनुसार पाठ्यक्रम को आधा करने
पर विचार किया जा रहा है। 5-8वीं कक्षा में पास-फेल को लेकर जुलाई में
संसद में नई शिक्षा नीति पेश होगी। इस पर 25 राज्यों ने सहमति भी जताई है।
जून के अंत तक नई शिक्षा नीति की रिपोर्ट आएगी। उसके बाद उसे कैबिनेट में
पेश किया जाएगा।
संसद के अगले सत्र में बिल पेश करेगी केंद्र सरकार
फैसले को लागू करने के लिए राज्य सरकार होगी स्वतंत्र
कोलकाता प्रेस क्लब में शनिवार को पत्रकारों को संबोधित करते केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर।
