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शिक्षामित्रों ने फिर से अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ किया विरोध पदर्शन

लखनऊः पिछले काफी समय से शिक्षामित्र अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध पदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई दे रही है।
जिसके चलते शिक्षामित्रों ने फिर से विरोध पर्दशन करना शुरु कर दिया है। शिक्षामित्रों ने 1 जून से बड़े प्रदर्शन की घोषणा की है। शिक्षामित्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आश्वासन के बाद भी शासनादेश निर्गत न होने से नाराज हैं।

शिक्षामित्रों का कहना है कि 23 अगस्त, 2017 को उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वार्ता हुई थी। तब उन्होंने एकमत प्रस्ताव मांगा था जो शिक्षामित्रों ने शासन को सौंप दिया। इस मामले में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन भी हुआ लेकिन उसका निर्णय आज तक नहीं आया। शिक्षामित्र बहाली न होने तक समान कार्य, समान वेतन की मांग कर रहे हैं।

उनका कहना है कि मध्य प्रदेश में सरकार ने 2.35 लाख संविदा शिक्षकों का समायोजन करने का फैसला किया है। 1.85 लाख संविदा कर्मचारियों को 62 साल की उम्र तक सेवा देने के साथ अन्य विभाग की तरह सभी लाभ देने का भी फैसला हुआ है। उत्तराखंड में भी सरकार ने शिक्षामित्रों को राहत दी है।  इसी तरह यूपी सरकार भी शिक्षामित्रों को राहत दे।

शिक्षामित्रों की मांगे हैं कि आरटीआई एक्ट 2009 के तहत उन्हें पूर्ण शिक्षक का दर्जा दिया जाए और बेसिक शिक्षा नियमावली के अनुसार पूर्ण शिक्षक का वेतनमान दिया जाए इसके साथ ही जो शिक्षक टेट पास है। उनको बिना बिल लिखित परीक्षा और अनुभव के आधार पर नियुक्ति दी जाए। शिक्षामित्रों को समान कार्य समान वेतन दिया जाए। मृत शिक्षामित्रों के परिवार को आर्थिक सुरक्षा दी जाए।

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