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UPPSC: पूर्व अफसरों को मददगार बनाएगी, परीक्षाएं निर्विवाद कराने वालों से नियमों की जानकारी भी ली जाएगी

इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से हुई भर्तियों की में आयोग के कई पूर्व अधिकारी मददगार बन रहे हैं। पिछले महीने आयोग के विभिन्न अनुभागों में अभिलेखों की तलाशी के दौरान सीबीआइ ने फोन के जरिये एक सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी से परीक्षा और परिणाम तैयार करने की प्रक्रिया को जाना।
जिनके कार्यकाल में परीक्षाएं निर्विवाद हुईं उनसे भी जांच अधिकारी संपर्क करेंगे, ताकि यह पता लगाया जा सके कि परीक्षा प्रक्रिया में क्या नियम अपनाए जाते हैं और कहां इसमें मनमाने तरीके से बदलाव हुए।1भर्तियों की जांच कर रहे सीबीआइ अफसरों को पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव के कार्यकाल में नियमों में कई बदलाव की जानकारी हुई है। आयोग में बनाए गए गवाहों से सीबीआइ को पता चला कि डॉ. अनिल यादव के इशारे पर नियमों में आनन फानन बदलाव किए गए थे। कई नियम तो प्रावधान को ताक पर रखकर बदले गए। 1परीक्षा कार्यो में परीक्षकों के चयन से लेकर साक्षात्कार बोर्ड का गठन, परिणाम वेबसाइट पर जारी करने तक की प्रक्रिया नियमावली के अधीन होती है लेकिन, पूर्व अध्यक्ष के कार्यकाल में इन सबकी अनदेखी हुई। आयोग में पिछले दो दशक में कई पूर्व अधिकारी ऐसे रहे हैं जिनके कार्यकाल में परीक्षाएं बेदाग हुईं। सीबीआइ अब उन्हीं अधिकारियों की मदद लेकर यह पता लगाने की कोशिश में है कि नियम बदलने में आयोग के क्या अधिकार हैं। किस नियम में अहम बदलाव के लिए शासन से अनुमोदन प्राप्त किया जाता है।1सूत्र बताते हैं कि मई माह में आयोग के विभिन्न अनुभागों में सीबीआइ अधिकारियों ने अभिलेखों के परीक्षण के दौरान एक पूर्व आइएएस अधिकारी की मदद ली। साक्षात्कार में अभ्यर्थियों के नंबरों को गुप्त रखने की प्रक्रिया, परिणाम के दिन परीक्षा समिति की बैठक में नंबरों को डी-कोड करने की प्रक्रिया आदि को जाना। एक पूर्व परीक्षा नियंत्रक और एक अन्य पूर्व अध्यक्ष से भी सीबीआइ जल्द ही मदद लेने की तैयारी में हैं।

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