उप्र लोकसेवा आयोग (यूपी पीएससी) की सहायक अभियोजन अधिकारी यानि एपीओ
भर्ती 2015 की कॉपियों में अंक बदलने का गंभीर आरोप लगा है। सीबीआइ ने सभी
शिकायतें स्वीकार कर की हैं साथ ही कई तरह के साक्ष्य भी शिकायतकर्ताओं से
मांगे हैं।
हालांकि इस भर्ती की जांच में भी सीबीआइ को अंतिम परीक्षा
परिणाम परेशान करेगा क्योंकि वह सितंबर 2017 में आया है और मार्च 2017 तक
की हो रही है। 1यूपी पीएससी ने एपीएस 2015 भर्ती के 372 पदों के लिए
प्रारंभिक परीक्षा 26 जुलाई, 2015 को कराई थी। इसका रिजल्ट आने के बाद
मुख्य परीक्षा 27 व 28 दिसंबर को हुआ। साक्षात्कार 17 फरवरी, 2017 से शुरू
कराया गया। प्रदेश में योगी सरकार आने पर 22 मार्च को आयोग में साक्षात्कार
व परीक्षा परिणाम जारी करने पर रोक लगाई तो इंटरव्यू स्थगित कर दिया गया।
बाद में 21 व 22 अगस्त से फिर साक्षात्कार शुरू हुआ और अंतिम परिणाम आठ
सितंबर, 2017 को जारी हुआ। परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों ने
सीबीआइ से शिकायत की है कि उनकी उत्तर पुस्तिका के अंक बदल दिए गए हैं। कई
अभ्यर्थियों ने बताया कि विधि के प्रश्नपत्र में अप्रत्याशित तरीके से कम
दिए गए हैं, जबकि उनका यह सर्वोच्च प्रदर्शन था। आरोप है कि विशेषज्ञों ने
बिना प्रश्नों का जवाब पढ़े ही मनमाने तरीके से कॉपियों का मूल्यांकन किया
है। यह भी बताया गया कि प्रारंभिक परीक्षा में कई ऐसे प्रश्न पूछे गए जिनके
जवाब गलत थे। सीबीआइ ने सभी की शिकायतें स्वीकार की हैं और शिकायतकर्ताओं
को उचित समय पर फिर से बुलाने को कहा है। अभ्यर्थियों की मानें तो एपीओ
भर्ती 2015 का हाल एपीएस 2010 की तरह ही है। दोनों में अंतर यह है कि एपीएस
में शासन के अफसरों के निर्देश पर गड़बड़ी की गई, जबकि एपीओ में आयोग पर
कॉपियों का मनमाने तरीके से मूल्यांकन करने का आरोप है।
एपीएस के बाद एपीओ पर कसेगा शिकंजा : सीबीआइ ने बीते 19 जून को प्रदेश
सरकार को पत्र लिखकर अपर निजी सचिव यानी एपीएस 2010 को जांच दायरे में लाने
का अनुरोध किया है। यह प्रकरण शासन में विचाराधीन है। माना जा रहा है कि
इसमें सफल होने के बाद सीबीआइ एपीओ 2015 के लिए भी पत्र लिखेगी।
