आगरा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजन को रद् करने के
बाद शिक्षामित्र अवसाद में चल रहे हैं। ऐसी तमाम खबरें सामने आई। करीब
साढ़े चार सौ शिक्षामित्र सुसाइड का रास्ता अपनाकर अपनी जीवन लीला समाप्त
कर चुके हैं। रविवार को आगरा के खंदौली क्षेत्र में भी एक शिक्षामित्र की
आसामयिक मृत्यु हो गई।
बताया गया है कि शिक्षामित्र बीते एक साल से अवसाद
की स्थिति में जिंदगी जी रहा था।
परिवार का पेट पालने की कोशिश की
थाना खंदौली के
गाँव हाजीपुर खेड़ा में शिक्षामित्र निजामुद्दीन प्राथमिक विद्यालय सोनिगा
ब्लॉक में थे। समायोजन निरस्त होने के बाद पिछले एक साल से अवसाद में चल
रहे थे। ऐसा परिवारीजनों का आरोप है। पारिवारिक आर्थिक हालात काफी कमजोर हो
गए थे। समय पर मानदेय नहीं मिल रहा था और आर्थिक हालात खराब होने के चलते
निजामुद्दीन ने शिक्षण कार्य के साथ साथ मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का
पेट पालने की कोशिश की। लेकिन, सारी कोशिशें विफल हो गई। रविवार को उनकी
आकस्मिक मौत हो गई। परिवार का इकलौता सहारा चले जाने से परिवार में कोहराम
मचा हुआ है। वहीं शिक्षा मित्र की मौत पर शिक्षा मित्रों में उबाल है।
ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों और शिक्षामित्रों ने चेतावनी
दी है कि प्रशासनिक अधिकारी जब तक मौके पर नहीं आएंगे अंतिम संस्कार नहीं
किया जाएगा।
शिक्षामित्र की मौत पर दुख व्यक्त किया
उत्तर
प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ आगरा ने शिक्षामित्र की मौत पर दुख
व्यक्त किया है। जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर ने कहा कि सरकार की शिक्षामित्र
विरोधी नीति ने एक और शिक्षामित्र की जान ले ली है। समायोजन निरस्त होने
के बाद पिछले एक साल से शिक्षामित्र अवसाद में हैं। निजामुद्दीन की
पारिवारिक आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर होने के कारण परिवार के भरण पोषण का
दायित्व इन्हीं के कंधों पर था। इसलिए शिक्षण कार्य करने के साथ में ये
मजदूरी भी किया करते थे। आकस्मिक मृत्यु ने परिवार को गहरा सदमा दिया है।
शिक्षामित्रों की मौत हो रही हैं और योगी आदित्यनाथ सरकार की आंखें अभी भी
नहीं खुल रही है।