इलाहाबाद : प्रदेश में शिक्षक तैयार करने वाले कालेज खुलने की मानों
बाढ़ आ गई है। पांच वर्ष में एक सरकारी संस्थान में इजाफा हुआ लेकिन, निजी
कालेजों की संख्या तीन हजार को पार गई है। कालेजों के साथ ही सीटें भी
बढ़ती गईं और अब इतनी सीटें हो गई हैं कि उन्हें भरना मुश्किल है।
शासन को
मजबूर होकर सीधे प्रवेश का रास्ता खोलना पड़ा। 1प्राथमिक स्कूलों के लिए
शिक्षक निकालने का जिम्मा पहले जिला एवं प्रशिक्षण संस्थान यानी डायट पर
रहा है। वहां से निकलने वाले प्रशिक्षुओं को बैचवार नियुक्ति भी आसानी से
मिल जाती रही है। 2013-14 में बीटीसी पाठ्यक्रम के लिए निजी कालेजों को भी
मौका दिया गया।
पहले वर्ष एक साथ 237 कालेजों को संबद्धता दी गई। इसके बाद से हर सत्र के
पहले संबद्धता देने की प्रक्रिया निरंतर चलती रही। यही वजह है कि अब निजी
कालेजों की संख्या तीन हजार को भी पार गई है, जबकि 2012-13 में डायट महज 62
थे, जो अब बढ़कर 63 हो गए हैं। इन कालेजों में पढ़ाए जाने वाले दो वर्षीय
पाठ्यक्रम का नाम बीटीसी से बदलकर डीएलएड हो चुका है लेकिन, अन्य किसी तरह
का बदलाव नहीं किया गया है, बल्कि निजी कालेजों के साथ ही डायट में
प्रवक्ताओं की कमी के कारण पठन-पाठन अपेक्षित नहीं हो रहा है।
पिछले वर्ष दो लाख 11 हजार डीएलएड की सीटों के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू
हुई। ऑनलाइन काउंसिलिंग व कालेज च्वाइस खुद भरने के बाद भी करीब 19 हजार
सीटें खाली रह गईं। कई निजी कालेज ऐसे भी रहे जहां एक भी प्रवेश नहीं मिला।
इससे सबक नहीं लिया गया बल्कि इस सत्र के पहले करीब 400 निजी कालेजों को
फिर संबद्धता दी गई। इसीलिए सीटों की संख्या बढ़कर दो लाख 30 हजार को भी
पार गई है। तमाम प्रयास के बाद भी की दो चरण की काउंसिलिंग के बाद भी करीब
90 हजार सीटें खाली हैं। इन्हें भरने के लिए शासन ने अब सीधे प्रवेश देने
का रास्ता खोला है। सात से 13 अगस्त तक हर कालेज में मेरिट के अनुसार
प्रवेश दिया जाएगा।
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