एनबीटी, लखनऊ राजकीय हाईस्कूलों में चार साल पहले हुई शिक्षक
भर्ती की जांच माध्यमिक शिक्षा विभाग ने ठंडे बस्ते में डाल दी है। चार साल
बीतने के बाद भी विभाग 20 शिक्षकों की मार्कशीटों का सत्यापन नहीं करवा
पाया है। इनमें 16 शिक्षक एलयू और छह दूसरे जिलों के हैं। यह स्थिति तब है
जबकि 10 से 12 चयनित अभ्यर्थियों की मार्कशीटें फर्जी बताई गईं थीं। ऐसे
में विभाग की कार्य प्रणाली सवालों के घेरे में है।
दरअसल, राज्य
सरकार के आदेश पर वर्ष 2012 में राजकीय हाईस्कूलों में शिक्षकों की भर्ती
के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। लखनऊ मंडल में 216 पदों पर आवेदन मांगे
गए थे। भर्ती का आधार मेरिट रखा गया था। विभागीय सूत्रों के अनुसार संयुक्त
शिक्षा निदेशक कार्यालय ने मेरिट के आधार पर काउंसलिंग करके नियुक्ति की
प्रक्रिया पूरी की। इसमें करीब 42 अभ्यर्थियों का चयन करते हुए वर्ष 2014
में उन्हें नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे। साथ ही उन्हें कार्यभार भी ग्रहण
करा दिया गया।
सत्यापन में हुआ था फर्जीवाड़े का खुलासा
जिन
शिक्षकों को स्कूलों में नियुक्त करवाया गया था, उन्हें सत्यापन के बाद ही
वेतन देने का आदेश शासन ने जारी किया था। ऐसे में जब जेडी कार्यालय ने
सत्यापन शुरू कराया तो करीब 12 ऐसे अभ्यर्थी पकड़े गए, जिनके अंक पत्र
फर्जी थे। इसके बाद बचे हुए 30 अन्य शिक्षकों की मार्कशीटें जांच के लिए
भेजी गईं, जिनमें से करीब 10 का सत्यापन सही पाया गया। करीब 20 के सत्यापन
की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। इनमें 16 शिक्षक एलयू और छह दूसरे जिलों के
हैं। लिहाजा, जांच की फाइलें ठंडे बस्ते में डाल दी गई हैं।
अफसरों का दावा-एलयू नहीं भेज रहा रिपोर्ट
संयुक्त
शिक्षा निदेशक सुरेंद्र तिवारी कहना है कि जांच रिपोर्ट के लिए संस्कृत
पाठशाला की उप निरीक्षक रेनू वर्मा को कई बार एलयू भेजा गया। वहां से कोई
भी सत्यापन रिपोर्ट नहीं मिली, फिर भी प्रयास किए जा रहे हैं।
कई बार
एलयू सत्यापन रिपोर्ट के लिए जा चुकी हूं। बीते अगस्त में एक रिमाइंडर भी
देने गई थी, लेकिन अभी एलयू से रिपोर्ट नहीं मिली है। रेनू वर्मा, उप
निरीक्षक, संस्कृत पाठशालाएं
इस मामले को दिखवाया जाएगा। अगर किसी
कर्मचारी की लापरवाही सामने आई तो कार्रवाई होगी। वहीं एलयू स्तर पर फाइलें
रुकी होंगी तो तत्काल सत्यापन कर भेजा जाएगा। - प्रो. एन के पांडेय,
प्रवक्ता
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