लखीमपुर खीरी/ मैलानी। थाना मैलानी पुलिस ने एक शिक्षामित्र सहित तीन लोगों
को गिरफ्तार कर लिया, जबकि उनका एक साथी फरार हो गया। पुलिस ने आरोपियों
से चोरी की 11 बाइक बरामद की है। पुलिस का कहना है कि आरोपी लखीमपुर खीरी,
बरेली और शाहजहांपुर से बाइक चोरी कर बिक्री करते थे।
पुलिस ने तीनों
आरोपियों का चालान कर कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
एसपी रामलाल वर्मा ने पुलिस लाइन सभागार में पत्रकारों को बताया कि
मैलानी थाना प्रभारी ने मुखबिर की सूचना पर बृहस्पतिवार की शाम करीब नौ बजे
थाना मैलानी के गांव कुकुहापुर निवासी शिक्षामित्र प्रदीप कुमार कोतवाली
मोहम्मदी के गांव अमीरनगर निवासी शारिब उर्फ हैदर को मैलानी-खुटार रोड पर
रपटा पुलिया के पास से चोरी की दो बाइकों के साथ दबोच लिया। पुलिस ने
आरोपियों से कड़ाई से पूछताछ की। इसके बाद आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस
ने थाना मैलानी के गांव नानक पुर निवासी नदीम को नारंग गांव के आगे जंगल के
किनारे पकड़ लिया, जबकि उसका साथी गांव संसारपुर निवासी इजहार फरार हो
गया। पुलिस ने वहां छिपाई गई नौ और बाइक बरामद कर लीं। उन्होंने बताया कि
आटोलिफ्टर प्रदीप कुमार बांकेगंज ब्लॉक के गांव सिसनोर में शिक्षामित्र है।
कई सालों से गैंग बनाकर लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, पीलीभीत और बरेली से
बाइकों को चोरी कर बिक्री कर रहा था। प्रदीप कुमार और शारिब के खिलाफ
पीलीभीत जिले के थाना न्यूरिया, बरेली के थाना बहेड़ी पर चोरी के मामले
दर्ज हैं। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों का चालान कर दिया। इस दौरान एएसपी
घनश्याम चौरसिया भी मौजूद रहे।
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टीईटी भी पास कर चुका है प्रदीप
मैलानी।
बाइक चोरी में तीसरी बार जेल जाने वाला प्रदीप कुमार शिक्षामित्र होने के
साथ ही टीईटी भी पास कर चुका है। उसने बताया कि पैसे की लालच में वह इस
धंधे में लग गया।
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पीलीभीत का गुड्डू लंगड़ा है गैंग का सरगना
मैलानी।
पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि पीलीभीत जिले के पूरनपुर का रहने वाला
गुड्डू लंगड़ा गैंग का सरगना है। वह अपने साथियों से बाइक चोरी कराता है।
ये लोग उसी से कम दामों में चोरी की बाइक खरीदकर ठिकाने लगाते थे। गुड्डू
लंगड़ा वर्तमान में हरिद्वार उत्तराखंड की जेल में है।
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अनपढ़ खरीदारों को जाल में फंसाते हैं
मैलानी।
पकड़े गए बाइक चोरों ने बताया कि चोरी की बाइक को ठिकाने लगाने के लिए वे
अधिकतर अनपढ़ शिकार खोजते थे। साल, छह महीने पुरानी बाइक चुराकर 35-40 हजार
तक में बेंच देते थे, लिहाजा सस्ते के चक्कर में कम पढ़े लिखे लोग उनके
जाल में जल्दी फंस जाते थे। यही नहीं जल्द ही कागज ट्रांसफर करा देने की
बात भी ग्राहकों से करते थे।