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शिक्षक भर्ती के लिए जुटी राज्य सरकार को विभाग दिखा रहे ठेंगा, असिस्टेंट प्रोफेसर की दो भर्तियां निदेशालय से गुम

शिक्षक भर्ती के लिए जुटी राज्य सरकार को इससे संबंधित विभाग ही ठेंगा दिखा रहे हैं। भर्ती आयोगों की लापरवाही जगजाहिर है। महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय की कार्यशैली से हजारों अभ्यर्थी परेशान हैं।
निदेशालय की ओर से 2009 और 2010 में 1106 पदों के लिए यूपीएचईएससी को भेजे गए अधियाचन में अर्हता के विवाद ने न केवल दोनों भर्तियां रद कराईं बल्कि इनके विज्ञापनों का पुन: प्रकाशन आज तक नहीं हो सका है।1विभिन्न महाविद्यालयों से रिक्त पदों की संख्या आने के बाद उच्च शिक्षा निदेशालय उप्र ने 2009 में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग यानि यूपीएचईएससी को अधियाचन भेजे थे। 2010 में एक और अधियाचन भेजा। यूपीएचईएससी ने 2009 के अधियाचन को विज्ञापन संख्या 44 और 2010 में मिले अधियाचन पर विज्ञापन संख्या 45 घोषित कर आवेदन मांगे। इन दोनों ही अधियाचनों में कुल मिलाकर 1106 असिस्टेंट प्रोफेसरों का चयन होना था। अभ्यर्थियों ने महाविद्यालय में शिक्षक बनने की उम्मीद लगाए इसमें आवेदन किया लेकिन, परीक्षा में लेटलतीफी हुई। इस बीच निदेशालय से एक और अधियाचन मिलने पर यूपीएचईएससी ने 2014 में विज्ञापन संख्या 46 के तहत भी भर्ती निकालकर कर आवेदन मांग लिए। इसी बीच विज्ञापन संख्या 44 और 45 में अर्हता का विवाद फंस गया और निदेशालय ने यूपीएचईएससी को इन दोनों विज्ञापनों पर परीक्षा न कराने का पत्र जारी कर दिया। इस पर यूपीएचईएससी ने शासन से अनुमति मांगी तो फरवरी 2015 में शासन से निर्देश हुआ कि दोनों ही परीक्षाएं निरस्त कर नए सिरे से तत्काल विज्ञापन जारी किया जाएं।1उच्च शिक्षा निदेशक डा. प्रीति गौतम का कहना है कि यह पुराना मामला है। शासन ने अर्हता पर स्पष्टीकरण मांगा था लेकिन, इस पर हुआ क्या यह बताने से उन्होंने कन्नी काट ली।

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