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68500 शिक्षक भर्ती में गड़बड़ियों की होगी सीबीआइ जांच, इलाहाबाद हाईकोर्ट का कड़ा रुख, छह माह में जांच पूरी करने को कहा

लखनऊ : योगी सरकार की पहली बड़ी भर्ती प्रकिया गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने गुरुवार को सहायक शिक्षकों के 68 हजार 500 पदों पर भर्ती प्रकिया में सामने आए भ्रष्टाचार के मामलों पर कड़ा रुख अपनाया है।
कोर्ट ने भर्ती प्रकिया की सीबीआइ जांच के आदेश दे दिए हैं। सीबीआइ निदेशक को छह महीने में जांच पूरी करने के भी निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट ने नवंबर को जांच की प्रगति रिपोर्ट भी तलब की है। कोर्ट ने कहा है यदि जांच में किसी अधिकारी की संलिप्तता सामने आती है तो सक्षम अधिकारी उसके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करें।
महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार इस प्रकरण की जांच सीबीआइ से कराने के लिए कतई तैयार नहीं है। जांच का आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल सदस्यीय पीठ ने दर्जनों अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया था कि कुछ उत्तर पुस्तिकाओं के पहले पृष्ठ पर अंकित बार कोड अंदर के पृष्ठों से मेल नहीं खा रहे हैं। कोर्ट ने तब ही हैरानी जतायी थी कि लगता है उत्तर पुस्तिकाएं बदल दी गई हैं। इस पर महाधिवक्ता ने जांच का भरोसा दिया था। इसके बाद तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाकर जांच किए जाने का दावा भी सरकार की ओर से किया गया लेकिन, गुरुवार को सुनाए फैसले में जांच कमेटी के रवैये पर कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जिन अभ्यर्थियों को स्क्रूटनी में रखा गया था, उनके भी चयन पर अब तक निर्णय नहीं किया गया। 1कोर्ट ने कहा कि जांच कमेटी में दो सदस्य बेसिक शिक्षा विभाग के ही हैं जबकि दोनों को कमेटी में नहीं रखा जाना चाहिए था क्योंकि उसी विभाग के अधिकारी जांच के दायरे में हैं।

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