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यूपी: 69,000 शिक्षक भर्ती के परिणाम पर लगी रोक, कोर्ट 29 तारीख को करेगा सुनवाई

उत्तर प्रदेश में हो चुकी 69000 शिक्षकों पदों पर परीक्षा को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। यह लिखित परीक्षा 6 जनवरी को हुई थी। वैसे देखा जाए तो रिजल्ट की घोषणा 22 जनवरी को होने वाले थी। लखनऊ हाईकोर्ट ने 17 जनवरी को इस परीक्षा के परिणाम का मामला अगली सुनवाई पर टाल दिया है। 29 जनवरी को इस मामले की अंतिम सुनवाई की जाएगी।

मोहम्मद व अन्य सैकड़ो अभ्यर्थियों की ओर से करीब 33 याचिका दर्ज की गई है। लखनऊ हाईकोर्ट के न्यायधीश राजेश चौहान इस केश को संभाल रहे हैं। यह मामला राज्य सरकार और याचियों के बीच का हैं। जिसमें बीते सोमवार को करीब दो घंटे तक काफी बहसबाजी चली। सरकार की तरफ से प्रशांत चंद्रा इस केस को लड़ रहे हैं। जिसमें उन्होने सरकार द्वारा दिए गए आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के लिए क्वालिफाइंग मार्क्स 60 से 65 प्रतिशत वाले निर्णय को सही बताया।
राज्य सरकार का कहना है कि अध्यापक पर शिक्षा पर एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। इसलिए हमें मैरिट लिस्ट से कोई समझौता नहीं करना चाहिए। क्वालिफाइंग मार्क्स बढ़ाने को लेकर सरकार ने सफाई दी है। इस साल अभ्यर्थियों की संख्या पिछले साल की तुलना में ज्यादा हैं। वहीं याचियों को कहना है कि ये सब सरकार ने शिक्षामित्रों को बाहर करने के लिए किया है। याचियों का कहना है कि लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स में बदलाव करना असंवैधानिक है। टीईटी की परीक्षा सहायक अध्यापक पद की योग्यता के लिए कराई जाती है।

प्रतियोगियों ने भी याचिका दाखिस की

कुछ अभ्यर्थियों की ओर से कोर्ट के समक्ष पार्टी बनाए जाने की मांग की गई। ये अभ्यर्थी सरकार के पक्ष का समर्थन कर रहे हैं। याचियों की ओर से पार्टी बनाए जाने की मांग का विरोध किया गया। सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने राज्य सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए चार दिनों का समय दिया जबकि उसके 24 घंटे के भीतर याची पक्ष को जवाब देना होगा।

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