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69000 शिक्षक भर्ती रद्द होना आसान नहीं

69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में अनुचित साधन से पास करने वालों की धरपकड़ के बाद से असंतुष्ट अभ्यर्थी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर नए सिरे से भर्ती कराने की मांग उठा रहे हैं। कुछ लोग भर्ती रद्द करने के लिए कोर्ट जाने की भी बात कह रहे हैं।
लेकिन यह आसान नहीं है। नियमानुसार 10 प्रतिशत धांधली साबित होने के बाद ही परीक्षा रद्द करने पर विचार हो सकता है।


साक्ष्यों के साथ यदि यह साबित हो जाए कि परीक्षा में सफल 146060 अभ्यर्थियों में से 10 प्रतिशत लोग धांधली से पास हुए हैं तभी परीक्षा निरस्त हो सकती है। हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक के तमाम आदेश हैं कि जब तक 10 प्रतिशत धांधली साबित नहीं होती तब तक परीक्षा रद्द करने की बात भी न करें। इससे स्पष्ट है कि धांधली से पास होने वालों का परिणाम निरस्त करते हुए उन्हें चयन प्रक्रिया से बाहर तो किया जा सकता है लेकिन पूरी भर्ती रद्द नहीं कराई जा सकती है।


72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में भी उठा था मामला: नवंबर 2011 में शुरू हुई 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए प्रदेश में पहली बार हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में भी धांधली के आरोप लगे थे। तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी भी हुई थी। मसला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था लेकिन 10 फीसदी से अधिक धांधली साबित नहीं हो सकी। इसलिए परीक्षा निरस्त नहीं हुई और उसमें पास 66655 शिक्षक प्राइमरी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं।

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