69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया के मामले में सरकार ने एकल पीठ के 3 जून के आदेश को चुनौती देते हुए तर्क दिया है कि यह आदेश मनमाना है।
कहा गया कि एकल पीठ ने प्राधिकरण की दलीलों पर गौर नहीं किया। एकल पीठ ने अंतरिम आदेश जारी कर दिया जबकि याचिका ही पोषणीय नहीं थी क्योंकि 8 मई 2020 को जारी परीक्षा परिणाम के सभी सफल अभ्यर्थियों को याचिका में पक्षकार नहीं बनाया गया था।
सरकार की ओर से बहस करते हुए महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने यह भी दलील दी कि परीक्षा परिणाम आने के बाद 3 जून से काउंसलिंग प्रारम्भ होनी थी, ऐसे में एकल पीठ को दखल देने का कोई औचित्य नहीं था। सुनवाई के समय एक अभ्यर्थी के वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा ने अपील के खिलाफ अपना जवाब दाखिल कर दिया जबकि बेंच ने अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं एचजीएस परिहार, असित चतुर्वेदी, जेएन माथुर व सुदीप सेठ को मंगलवार सुबह 10 बजे तक लिखित जवाब दाखिल करने का समय दिया है।
एकल पीठ ने तीन जून को रोक लगा दी थी
एकल पीठ ने एक साथ 31 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 3 जून को अंतरिम आदेश जारी किया था। जिसमें एकल पीठ ने चयन प्रकिया पर रोक लगा दी थी। एकल पीठ ने यह आदेश प्रश्न पत्र में दिये गए विकल्पों की गड़बड़ी व फाइनल आंसर की में प्रथम दृष्टया मतभेद दिखने पर पारित किया था। सही विकल्पों की स्पष्टता के लिए अभ्यर्थियों की आपत्तियों को दस दिनों में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) को भेजने का आदेश दिया गया था।
कहा गया कि एकल पीठ ने प्राधिकरण की दलीलों पर गौर नहीं किया। एकल पीठ ने अंतरिम आदेश जारी कर दिया जबकि याचिका ही पोषणीय नहीं थी क्योंकि 8 मई 2020 को जारी परीक्षा परिणाम के सभी सफल अभ्यर्थियों को याचिका में पक्षकार नहीं बनाया गया था।

सरकार की ओर से बहस करते हुए महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने यह भी दलील दी कि परीक्षा परिणाम आने के बाद 3 जून से काउंसलिंग प्रारम्भ होनी थी, ऐसे में एकल पीठ को दखल देने का कोई औचित्य नहीं था। सुनवाई के समय एक अभ्यर्थी के वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा ने अपील के खिलाफ अपना जवाब दाखिल कर दिया जबकि बेंच ने अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं एचजीएस परिहार, असित चतुर्वेदी, जेएन माथुर व सुदीप सेठ को मंगलवार सुबह 10 बजे तक लिखित जवाब दाखिल करने का समय दिया है।
एकल पीठ ने तीन जून को रोक लगा दी थी
एकल पीठ ने एक साथ 31 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 3 जून को अंतरिम आदेश जारी किया था। जिसमें एकल पीठ ने चयन प्रकिया पर रोक लगा दी थी। एकल पीठ ने यह आदेश प्रश्न पत्र में दिये गए विकल्पों की गड़बड़ी व फाइनल आंसर की में प्रथम दृष्टया मतभेद दिखने पर पारित किया था। सही विकल्पों की स्पष्टता के लिए अभ्यर्थियों की आपत्तियों को दस दिनों में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) को भेजने का आदेश दिया गया था।