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अंतर जिला तबादलों के मामले में हाईकोर्ट ने शिक्षिकाओं को दी बड़ी राहत, शिक्षकों को नहीं

 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिषदीय प्राथमिकी विद्यालयों के शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादले के मामले में अध्यापिकाओं को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा है कि अध्यापिकाएं यदि एक बार अंतरजनपदीय तबादला ले

चुकी हैं और उसके बाद उनकी शादी हुई है तो वह दोबारा अंतरजनदीय तबादले की मांग करने की हकदार हैं। 



इसी प्रकार से मेडिकल आधार पर भी अध्यापिकाओं को दोबारा तबादले की मांग करने का अधिकार है। प्रदेश सरकार की अंतरजनपदीय तबादला नीति को चुनौती देने वाली दिव्या गोस्वामी सहित अन्य कई याचिकाओं पर यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने दिया है। 
याचिकाओं पर बहस करने वाले अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, सीमांत सिंह, अनिल सिंह बिसेन आदि का कहना है कि याचिका में दो दिसंबर 2019 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। इस शासनादेश में कहा गया है कि जो शिक्षक एक बार अंतरजनपदीय तबादला ले चुके हैं वह दोबारा तबादले की मांग नहीं कर सकेंगे। 
अधिवक्ताओं का कहना है कि कोर्ट ने शासनादेश के क्लाज 16 को सही नहीं माना। कोर्ट का कहना है कि क्लाज 16 बेसिक शिक्षा स्थानांतरण नीति 2008 और आटीई एक्ट 2009 के प्रावधानों के विपरीत है। हालांकि यह राहत सिर्फ अध्यापिकाओं के लिए है जबकि, अध्यापकों पर शासनादेश लागू होगा और वे एक बार अंतरजनदीय तबादले के बाद दोबारा तबादले की मांग नहीं कर सकेंगे। 

इससे पूर्व हाईकोर्ट ने 15 अक्तूबर को इस मामले पर फैसला सुरक्षित करते हुए बेसिक शिक्षा परिषद को तबादलों की सूची को अंतिम रूप नहीं देने का निर्देश दिया है। अदालत के फैसले के बाद अंतरजनपदीय तबादलों पर लगी रोक हट गई है।

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