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अब देश में ही रहकर छात्र ले सकेंगे विदेशी डिग्रियां, छात्रों का पलायन रोकने के लिए यूजीसी ने तैयार किया मसौदा

 उच्च शिक्षा के लिए भारतीय छात्रों को अब विदेश जाने की जरूरत नहीं होगी। वे देश में ही रहकर विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों से जुड़े कोर्सो की भी पढ़ाई कर सकेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने भारतीय और विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक नए रेगुलेशन का मसौदा तैयार किया है।



इसके तहत देश भर के उच्च शिक्षण संस्थान अब विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर संयुक्त या फिर दोहरे डिग्री कोर्स आदि शुरू कर सकेंगे। इन कोर्सों के कुल क्रेडिट स्कोर का तीस से पचास फीसद तक क्रेडिट भारतीय संस्थानों के होंगे। यूजीसी ने यह कदम भारतीय छात्रों के विदेश जाकर पढ़ाई के बढ़ते रुझान को देखते हुए लिया है। हालांकि इसे लेकर तैयार किए गए रेगुलेशन में आनलाइन कोर्स को शुरू करने की अनुमति नहीं होगी। साथ ही वह ऐसा कोई कोर्स नहीं शुरू कर सकेंगे, जो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और भौगोलिक अखंडता के खिलाफ हो। इस बीच विदेशी संस्थानों के साथ होने वाले प्रत्येक शैक्षणिक सहयोग से जुड़े करार पर यूजीसी पैनी नजर रखेगा। भारतीय संस्थान को भी इसके लिए अपने बोर्ड से मंजूरी लेनी जरूरी होगी। वहीं सिर्फ ऐसे विदेशी संस्थानों के साथ ही मिलकर ही मिलकर कोर्स शुरू किए जा सकेंगे, जो रेगुलेशन के मानकों पर पूरी तरह से खरी उतरते हैं। इनमें ग्लोबल रैंकिंग में उनका स्थिति आदि देखी जाएगी। हालांकि इस रेगुलेशन में बेहतर रैकिंग वाले भारतीय और विदेशी संस्थानों के शैक्षणिक सहयोग से जुड़े करार को पूरी छूट दी गई है। इसके लिए भारतीय संस्थानों को नैक रैंकिंग के चार अंकों में न्यूनतम 3.01 अंक हों या नैक (नेशनल असेसमेंट एवं एक्रीडेशन काउसिंल) की रैंकिंग में शीर्ष सौ विश्वविद्यालयों में शामिल हो। इनमें इंस्टीट्यूट आफ एमिनेंस के लिए चुने गए देश के बीस संस्थानों को भी दुनिया के शीर्ष संस्थानों के साथ साङोदारी की छूट दी गई है।

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