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DSSSB शिक्षक भर्ती भी पहुंची कोर्ट, दिल्ली सरकार व उपराज्यपाल से कोर्ट ने मांगा जवाब, पढें आखिरकार क्या है मामला

 दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में पिछले 40 साल से महिलाओं को अधिकतम उम्रसीमा में मिल रही 10 साल की छूट को उपराज्यपाल की मंजूरी से दिल्ली सरकर ने समाप्त कर दिया है। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने इसे गंभीरता से लेते हुए उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है।



सरकार के इस फैसले से सरकारी स्कूलों में खाली पड़े करीब 6700 से अधिक शिक्षकों के पदों को भरने के लिए दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) द्वारा निकाली गई भर्ती में बड़े पैमाने पर महिलाएं आवेदन करने से वंचित हो जाएंगी। न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य आर.एन. सिंह और प्रशासनिक सदस्य मो. जमशेद की पीठ ने मामले में डीएसएसएसबी को भी नोटिस जारी किया है। पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय और सरकार के शिक्षा निदेशालय को यह बताने के लिए कहा है कि महिलाओं को वर्षों से अधिकतम उम्रसीमा में दी जा रही छूट को समाप्त क्यों किया गया। साथ ही, इसके आधार बताने को भी कहा है। सभी पक्षकारों को मामले की अगली सुनवाई 21 जून से पहले जवाब देने को कहा गया है। न्यायाधिकरण ने शिक्षक भर्ती की तैयारी कर रही 123 महिलाओं की ओर से अधिवक्ता अनुज अग्रवाल द्वारा दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिका में अधिकतमत उम्रसीमा में महिलाओं को मिलने वाली 10 साल की छूट वापस लेने के लिए पिछले साल जारी आदेश के अलावा डीएसएसएसबी द्वारा करीब 6700 से अधिक शिक्षकों के भर्ती के लिए 12 मई को जारी विज्ञापन को भी चुनौती दी गई है। याचिका में महिलाओं को मिलने वाली छूट को दोबारा बहाल करने और इसके हिसाब से भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने का आदेश देने की मांग की गई है। छूट को समाप्त किए जाने को मानमाना और अनुचित बताते हुए अधिवक्ता अग्रवाल ने न्यायाधिकरण से इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।


यह है मामला
दिल्ली सरकार ने 1 नवंबर, 1980 को अधिसूचना जारी कर शिक्षकों की नियुक्ति में महिलाओं को अधिकतम उम्रसीमा में 10 साल की छूट दी थी जो अब तक चली आ रही थी। पिछले साल 6 मार्च को उपराज्यपाल की मंजूरी से शिक्षा निदेशालय ने इस छूट को समाप्त कर दिया। महिलाओं की ओर से याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता अनुज अग्रवाल ने बताया कि इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं मिली। लेकिन, डीएसएसएसबी द्वारा 12 मई को बड़े पैमाने पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन आने के बाद इस बारे में लोगों को पता चला। अग्रवाल ने बताया कि सरकार के इस निर्णय से बड़े पैमाने पर महिलाओं का शिक्षक बनने का सपना अधूरा रह जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके बाद सभी सक्षम प्राधिकार में महिलाओं ने प्रतिवेदन दिया, लेकिन कहीं पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

दिल्ली में आयु सीमा कम क्यों
अधिवक्ता अनुज अग्रवाल ने न्यायाधिकरण को बताया कि केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के स्कूलों और अन्य राज्य सरकारों के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में सामान्य श्रेणी में अधिकतम उम्रसीमा 35 या इससे अधिक है तो दिल्ली में क्यों कम है। उन्होंने कहा कि सरकार ने महिलाओं को मिलने वाली छूट को समाप्त करते हुए शिक्षक नियुक्ति में सामान्य श्रेणी के आवेदकों के लिए अधिकतम उम्रसीमा महज 32 साल रखी है। इस तरह ओबसी में 35 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में पांच साल की छूट यानी 37 वर्ष रखी गई है।

नियुक्ति नियम के प्रस्ताव को भी चुनौती
महिलाओं की ओर से दाखिल याचिका में दिल्ली सरकार द्वारा 2019 में शिक्षकों के नियुक्ति नियमों में बदलाव के लिए तैयार मसौदे को को भी चुनौती दी गई है। नये मसौदे में भी महिलाओं को अधिकतम उम्रसीमा में दी जाने वाली 10 साल की छूट को खत्म कर दिया गया है।

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