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चलती रही सीबीआइ जांच, फेल को पास बनाता रहा आयोग, एपीएस-2010 भर्ती में मिलीं ये गड़बड़ियां

 प्रयागराज : उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग ने भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत होने के बावजूद अपर निजी सचिव (एपीएस)-2010 का परिणाम जारी कर दिया। इसके बाद सीबीआइ जांच शुरू हुई, लेकिन आयोग के कदम नहीं थमे। जांच के बीच ही चयनितों को नियुक्ति भी दे दी गई।



इस प्रक्रिया के तहत 222 चयनित यूपी सचिवालय में कार्यरत हैं, जबकि 28 चयनितों की नियुक्ति इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाने के कारण रुकी है। यदि कोर्ट ने न रोका होता तो इन्हें भी नियुक्ति मिल गई होती। आयोग ने एपीएस-2010 के तहत 250 पदों की भर्ती निकाली थी। भर्ती की जांच कर रही सीबीआइ को काफी खामियां मिली थी। इसके बावजूद चयनितों को नियुक्ति देने की प्रक्रिया नवंबर, 2019 में शुरू कर दी गई। नियुक्ति देने का क्रम वर्ष 2020 तक चलता रहा। इस पर सीबीआइ जांच की मांग करने वाले प्रतियोगी आयोग के खिलाफ लामबंद हो गए।

एपीएस-2010 भर्ती में मिलीं ये गड़बड़ियां

’ कंप्यूटर सर्टिफिकेट की निर्धारित शैक्षिक अहर्ता पूरी नहीं करने वालों का चयन कराया। नियुक्ति के बाद अभिलेखों का सत्यापन नहीं कराया ’ हिंदी शार्टहैंड की परीक्षा में फेल अभ्यर्थियों को पांच प्रतिशत के बाद अवैध रूप से विवेकाधिकार के नाम पर तीन प्रतिशत गलतियों में अतिरिक्त छूट दी ’ हिंदी शार्टहैंड और टाइप की परीक्षाओं के मूल्यांकन के दौरान फेल वालों को अधिक अंक दिलाकर पास कराया’ सामान्य हिंदी और कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में कुछ को अधिक अंक दिलाकर चयनित कराया गया। ’ कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा में विज्ञापन नियमों के उल्लंघन को देखते हुए जब शासन द्वारा इसे निरस्त करके दोबारा कराए जाने की संस्तुति आयोग को भेजी गई, तो उसे अस्वीकार करके रिजल्ट जारी कर दिया गया’ कई अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं बदली गई हैं।

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