सांसद और विधायकों को मिलती है पेंशन, शिक्षक-कर्मचरियों को क्यों नहीं

 अमरोहा। संयुक्त संघर्ष संचालन समिति के आह्वान पर शिक्षक और कर्मचारियों ने पेंशन की बहाली के लिए हुंकार भरी। उन्होंने पुरानी पेंशन की बहाली की मांग दोहराई। कहा कि जब सांसद और विधायकों को कुछ दिन तक ही सदन में आने पर जीवन भर पेंशन मिलती है तो शिक्षक और कर्मचारियों को क्यों नहीं।

संगठन ने वर्ष 2005 के बाद नियुक्त होने वाले सभी तरह के सरकारी कार्मिकों को पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग की है। शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर बहाल करने की मांग को दोहराई। सीएम योगी आदित्यनाथ को संबोधित 16 सूत्री पत्र डिप्टी कलक्टर को सौंपा।



संयोजक कुलवंत सिंह और जिला मंत्री जयवीर सिंह की अगुवाई में शिक्षक और विभिन्न विभागों के कर्मचारी गुरुवार को कलक्ट्रेट परिसर में एकत्र हुए। उन्होंने कहा कि निजीकरण और आउटसोर्सिंग प्रक्रिया को बंद करने की मांग की। शिक्षकों के वेतन की विसंगति को दूर किया जाए। शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर बहाल किया जाए। होमगार्ड्स, पीआरडी के जवान, रोजगार सेवक, मनरेगा कार्मिक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायक, आशा बहू, एएनएम, रसोइयों को नियमित करें ताकि उनका जीवन सुरक्षित रह सके। वक्ताओं ने कहा कि पेंशन बुढ़ापे का सहारा थी, लेकिन सरकार ने 2005 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारी, अधिकारी और शिक्षकों को नहीं पेंशन नहीं देगी।

प्रदर्शन करने वालों में सुशील नागर, शाहनवाज खान, अशोक कुमार, रजनीश कुमार, किरन पाल सिंह, सत्यपाल सिंह, जगत चौहान, वरन सिंह, योगेश कुमार, अखिलेश कुमार, शीशपाल सिंह, विकास चौहान, शमीम अहमद, पुरजीत सिंह, जितेंद्र सिंह, हरिराम सिंह, सर्वेेश कुमार, ओमवीर नागर, नरदेव सिंह आदि, जितेंद्र सिंह, अवनीश, विनोद, जयपाल, दिनेश कुमार, सुरेश चंद्र, कुलवंत आदि रहे।

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