Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

कर्मचारियों तबादला नीति में पारिवारिक जीवन को भी महत्व दें राज्य : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकारों को अपने कर्मचारियों (पति-पत्नी सहित) के लिए अंतर आयुक्तालय स्थानांतरण पर नीति बनाते समय व्यक्ति की गरिमा और निजता के एक तत्व के रूप में उनके पारिवारिक जीवन की सुरक्षा के महत्व पर पर्याप्त ध्यान देना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि निजता, गरिमा और व्यक्तियों के पारिवारिक जीवन के अधिकारों में राज्य का हस्तक्षेप आनुपातिक होना चाहिए। 



जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पारिवारिक जीवन को बनाए रखने की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक विशेष नीति को कैसे संशोधित किया जाना चाहिए, इसे निर्धारित करने की जिम्मेदारी सरकार पर छोड़ी जा सकती है। हालांकि, नीति तैयार करने में राज्य यह नहीं कह सकता कि वह पारिवारिक जीवन के संरक्षण आदि जैसे सांविधानिक मूल्यों से बेखबर रहेगा। पारिवारिक जीवन का संरक्षण अनुच्छेद-21 की एक ‘घटना’ है।


महिलाएं पितृसत्तात्मक मानसिकता के अधीन हैं
कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ लिंग के कारण प्रणालीगत भेदभाव का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि सरकार के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह ऐसी नीतियों को अपनाए जो कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए औपचारिक समानता से अलग ‘अवसर की वास्तविक समानता’ पैदा करे क्योंकि महिलाएं पितृसत्तात्मक मानसिकता के अधीन हैं, जो उन्हें प्राथमिक देखभाल करने वाली और गृहिणी मानती है और इस तरह उन पर पारिवारिक जिम्मेदारियों का एक असमान भार आ जाता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की नीति को वैधता, उपयुक्तता, आवश्यकता व मूल्यों को संतुलित करने की कसौटी पर खरा उतरना होता है। 

नीति की वैधता का आकलन सांविधानिक मानकों की कसौटी पर हो सकता है
पीठ ने केरल हाईकोर्ट के एक फैसले को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि अंतर-आयुक्तालय स्थानांतरण से संबंधित केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा एक परिपत्र को वापस लेना अमान्य नहीं है। पीठ ने कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हैं और प्रतिवादी (केंद्र सरकार) पर यह छोड़ देते हैं कि वह पति-पत्नी की पोस्टिंग, दिव्यांगों की जरूरतों और अनुकंपा आधार की नीति पर फिर से विचार करें।

पीठ ने कहा कि न्यायिक समीक्षा की कवायद में यह अदालत कार्यपालिका को एक विशेष नीति तैयार करने का निर्देश नहीं दे सकती है लेकिन किसी नीति की वैधता का आकलन सांविधानिक मानकों की कसौटी पर किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की कवायद को कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में छोड़ दिया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया चाहिए कि संविधान के अनुच्छेद-14, 15,16 और 21 के तहत आने वाले संवैधानिक मूल्यों की विधिवत रक्षा हो।

إرسال تعليق

0 تعليقات

latest updates

latest updates

Random Posts